गुरुवार, दिसंबर 30, 2010

परमात्मा की खोज

1 युवा सन्यासी परमात्मा की खोज में था । वह किसी सच्चे ग्यानी की तलाश में था । जो उसे जीवन का सत्य बता सके । आखिर उसे 1 वृद्ध सन्यासी मिला । वह वृद्ध सन्यासी के साथ हो गया । सन्यासी ने कहा । मेरी 1 शर्त है । मैं कुछ भी करूं । तुम धैर्य रखोगे । और प्रश्न नहीं करोगे । में कुछ भी करूं । तुम पूछ न सकोगे । अगर इतना धैर्य और संयम रख सको । तो मेरे साथ चल सकते हो ।
युवक ने शर्त स्वीकार कर ली । और वे दोनों यात्रा पर निकले । पहली रात वे 1 नदी के किनारे सोये । और सुबह ही boat में बैठकर उन्होने नदी पार की । मल्लाह ने सन्यासी को मुफ्त नदी के पार पहुंचा दिया । नदी के पार पहुंचते पहुंचते युवा संन्यासी ने देखा । कि बूढा संन्यासी चोरी छिपे boat में छेद कर रहा है । मल्लाह तो river के उस तरफ ले जा रहा है । और बूढा सन्यासी नाव में छेद कर रहा है । वह बहुत हैरान हुआ । यह उपकार का बदला ? मुफ्त में उन्हें नदी पार करवाई जा रही है । उस गरीब मल्लाह की नाव में किया जा रहा है यह छेद ?
भूल गया शर्त को । कल रात ही शर्त तय की थी । boat से उतरकर वे 2 कदम भी आगे नहीं बढें होगें । कि यूवा संन्यासी ने पूछा । सुनिये । यह आश्चर्य की बात है । कि 1 संन्यासी होकर जिस मल्लाह ने प्रेम से नदी पार करवाई है । मुफ्त सेवा की है । सुबह सुबह उसकी नाव में छेद करने की बात मेरी समझ में नहीं आती । कि उसकी नाव में आप छेद करें ? यह कौन सा बदला हुआ । नेकी के लिये बदी से । भलाई का बुराई से ?
बूढे संन्यासी ने कहा । शर्त तोड दी तुमने । हमने तय किया था । कि तुम पूछोगे नहीं । अब तुम विदा हो जाओ । अगर विदा होते हो । तो मैं कारण बताऐ देता हूं । और अगर साथ चलना चाहो । तो ध्यान रहे दुबारा पूछा । तो फिर साथ टूट जायेगा ।
युवा सन्यासी को ख्याल आया । उसने क्षमा मांगी । उसे हैरानी हुई । कि वह इतना भी संयम न रख सका । इतना भी धैर्य न रख सका । लेकिन दूसरे दिन फिर संयम टूटने की बात आ गई । वे 1 जंगल से गुजर रहे थे । जंगल में राजा शिकार खेलने आया । उसने सन्यासियों को देखकर बहुत आदर किया । उन्हें अपने घोडो पर सवार किया । और वे सब राजधानी की तरफ वापस लौटने लगे । वृद्ध सन्यासी के पास राजा ने अपने 1 मात्र पुत्र युवा राजकुमार को घोडे़ पर बिठा दिया । घोडे दौड़ने लगे । राजधानी की तरफ । राजा के घोडे आगे निकल गये । दोनो सन्यासियों के घोडे़ पीछे रह गये । बूढे सन्यासी के साथ राजा का बच्चा भी बैठा हुआ है । वह 1 मात्र बेटा है उसका । जब वे दोनों अकेले रह गये । उस बूढे सन्यासी ने उस युवा राजकुमार की नीचे उतारा । और उसके हाथ को मरोडकर तोड दिया । उसे झाडी में धक्का देकर अपने सन्यासी साथी से कहा । भागो जल्दी ।
यह तो बरदाश्त के बाहर था । फिर भूल गया शर्त । उसने कहा हैरानी की बात है यह ।
जिस राजा ने हमारा स्वागत किया । घोडों पर सवारी दी । महलों में ठहरने का निमन्त्रण दिया । जिसपे इतना विश्वास किया । जिसने अपने बेटे के घोडे पर तुम्हें बिठाया । उसके 1 मात्र बेटे का हाथ मरोडकर तुम जंगल में छोड आये हो । यह क्या है ? यह मेरी समझ के बाहर है । मैं इसका उत्तर चाहता हॅ ।
बूढा बोला । तुमने फिर शर्त तोड दी । मैंने कहा था । कि दूसरी बार तुम शर्त तोडोगे । तो विदा हो जायेंगे । अब हम विदा हो जाते है । और दोनो का उत्त्तर मैं तूम्हे दिये देता हॅ । जाओ पता लगाओ । तुम्हें ज्ञात होगा । कि वह नाव वह मल्लाह इसी किनारे पर रात छोड गया । और रात 1 village पर डाका डालने वाले लोग उसी boat पर सवार होकर डाका डालेंगे । मैं उसमें छेद कर आया हूं । 1 गांव में डाका बच जाएगा ।
राजा के लड़के को मैने हाथ मरोड़कर छोड़ दिया है जंगल में । यह राजा अत्यन्त दुष्ट और आततायी हैं । इसका लड़का उससे भी कू्र और आततायी होने को हैं । उस राज्य का 1 नियम है । कि गद्दी पर वही बैठ सकता है । जिसके सब अंग ठीक हो । मैंने उसका हाथ मरोड़ दिया है । वह अपंग हो गया । अब वह गद्दी पर बैठने का अधिकारी नहीं रहा । सैकड़ों वर्षो से इस देश की प्रजा पीड़ित हैं । वह पीड़ित परम्परा से मुक्त हो सकेगी । अब तुम विदा हो जाओ । मैं क्षमा चाहता हूं ।
तुम्हें जो प्रगट है । वही दिखाई पड़ता हैं । जो अदृश्य है । वह दिखाई नहीं पड़ता । और जो आदमी प्रगट पर ही ठहर जाता है । वह कभी सत्य की खोज नहीं कर सकता हैं । मैं तुमसे क्षमा चाहता हूं । हमारे रास्ते अलग हैं ।

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