गुरुवार, जनवरी 06, 2011

मैं आपकी बात से सहमत हूं ।

अजय दुबे  पोस्ट शंकराचार्य को कामकला का ग्यान कैसे हुआ ??  पर । @राजीव कुमार कुलश्रेष्ठ । भाईसाहब आपने कहा कि सिकंदर कबीर के आगे झुका था ! ये गलत है । क्योंकि सिकंदर चाणक्य ,पुरु के समय आया था । और कबीर मुग़लकाल के समय । तो दोनो की मुलाकात कैसे संभव है ? (डेढ़ हज़ार वर्षो को आप खा गये क्या ? ) और अब कुछ बात लेखक जी से । जिन्होंने लिखा है । शंकराचार्य को कामकला का ग्यान कैसे हुआ ?? लेखक महोदय ! आपको ये कहानी कहां से मिली ?? क्या प्रमाणिकता है , इसकी ?? आप जैसे लोग किवदंतियों को हवा देते है ??
दूसरी बात आपकी इसी मनगढ़ंत कहानी के अनुसार ? बिना ब्यवहार के ज्ञान को ज्ञान नहीं माना जा सकता । ये तो और भी बात झूठ है । आप ही बताइए । क्या शंकराचार्य जी बाकी सभी ज्ञान को (कामकला को छोडकर ) ब्यवहारिक जानते थे ?? ये संभव है ?? अतः आपसे निवेदन है कि बात वही करे । जो तर्कसंगत हो । किवदंतियो को बढ़ाना बंद करे । समाज वैसे ही कई किवदंतियो से गुमराह है । धन्यवाद । अजय दुबे (एक पाठक ) ।
@ अजय दुबे आपकी दोनों बातों का विस्त्रत उत्तर ब्लाग पर पोस्ट के रूप में दिया जायेगा । वैसे मैं आपसे सहमत हूं कि हमें अपने विचारों का प्रेषण निष्पक्ष और निर्भीकता से ही करना चाहिये । आप समाज के प्रति इंसान के उत्तरदायित्व को लेकर काफ़ी संवेदनशील मालूम होते हैं । जो मेरे दृष्टिकोण में प्रशंसनीय है ।
Rajesh Kumar 'Nachiketa'  पोस्ट  तो विचारे बन्दरों का कितना भला होगा ??  पर ।
एक बात भीम द्वारा हाथी ऊपर फेंकने के सन्दर्भ में । पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण का सिद्धांत है । जिसकी व्याख्या के सन्दर्भ में आता है कि किसी गुरुत्वा विभव से । एक नियत वेग से । अगर किसी भी पिंड को गुरुत्वबल के विपरीत फेंका जाए । तो वो उस गुरुत्वाकर्षण के क्षेत्र से बाहर चला जाता है । और उस पर वापस गुरुत्वबल काम नहीं करता है ।
पृथ्वी के भार और गुरुत्वाकर्षण के नियतांक को जानते हुए गणना की जाए । तो पता चलता है कि पृथ्वी के लिए । ये वेग है 11.2 किमी । घंटा है । मतलब । अगर भीम ने हाथी को इससे ज्यादा वेग से फेंका हो । तो वो कभी वापस नहीं लौटेगा । जो कि संभव है । हुआ होगा । अन्य बातों की जानकारी के लिए धन्यवाद ।
@Rajesh Kumar 'Nachiketa' राजेश जी । मैं आपकी बात से सहमत हूं । आपके द्वारा उठाये गये बिंदु पर मेरा विचार और जानकारी क्या है ? ये आपको ब्लाग पर पोस्ट के रूप में जल्द  मिलेगा । धन्यवाद ।
BBB पोस्ट  बंसल जी दुनियां वाकई गोल है ।  पर ।
राजीव जी । मायावी नगरी की आगे की कहानी भी बतायें ।
@BBB मैं स्वयं इसको जल्दी प्रकाशित करने का इच्छुक हूं । पर समय का अभाव और अन्य झंझट लग जाते हैं । दरअसल और भी गम हैं । जमाने में मुहब्बत के  सिवा । धन्यवाद ।
Dr (Miss) Sharad Singh  पोस्ट  मुहम्मद साहब और 3 बातें । 1  पर ।
आपने बहुत अच्छी व्याख्या की है । यदि इसी प्रकार सभी धर्म के मर्म को समझने लगें । तो सभी भेदभाव मिट जाएं । इसी तरह लिखते रहें । आपको भी नववर्ष की हार्दिक शुभकामनायें ।
@Dr (Miss) Sharad Singh..आपका धन्यवाद । Dr साहब । मेरा ब्लागिंग उद्देश्य अधिकतर यही है ।
अजय दुबे  पोस्ट  मुहम्मद साहब और 3 बातें । 1  पर ।
लाजबाब लेख ! धर्मगृंथो की गलत ब्याख्या ही सभी लडाई झगडों का मूल है । धर्मगृंथो की सही ब्याख्या ही इसका समाधान है । आप जैसे लोग अगर सच्चाई इस तरह से सबके सामने । उनके ही गृंथो से रखेंगे । तो किसी को स्वीकार करने में । कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए । इस उम्मीद के साथ कि आप अच्छे से ( भलीभांति से पढ़कर ही ) कोई बात लिखे । आपका बहुत बहुत धन्यवाद और आभार ।
@अजय दुबे  आपका धन्यवाद । अजय जी । मैं भी आपकी बात से सहमत हूं । आपके निष्पक्ष विचार और खरी खरी बात कहने का स्वभाव मुझे बेहद पसन्द आया । मैं आपके सुझाव पर अमल करने की कोशिश करूंगा ।
Patali-The-Village  पोस्ट  मुहम्मद साहब और 3 बातें । 1  पर ।
आपने बहुत अच्छी व्याख्या की है । आपकी व्याख्या काफी ज्ञानवर्धक है । धन्यवाद ।
@Patali-The-Village  आपके उत्साहवर्धन और समर्थन हेतु । आपका हार्दिक आभार ।
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