रविवार, नवंबर 20, 2011

दुनिया में केवल 3 अदभुत किताबें हैं

P D आस्पेंस्की ने 1 किताब लिखी है । किताब का नाम है - टर्शियम आर्गानम । किताब के शुरू में उसने 1 छोटा सा वक्तव्य दिया है । P D आस्पेंस्की रूस 1 एक बहुत बड़ा गणितज्ञ था । बाद में पश्चिम के 1 बहुत अदभुत फकीर गुरजिएफ के साथ वह 1 रहस्यवादी saint हो गया । लेकिन उसकी समझ math की है । गहरे गणित की । उसने अपनी इस अदभुत किताब के पहले ही 1 वक्तव्य दिया है । जिसमें उसने कहा है कि दुनिया में केवल 3 अदभुत किताबें हैं - 1 किताब है अरिस्टोटल की । पश्चिम में जो तर्कशास्त्र का पिता है । उसकी उस किताब का नाम है - आर्गानम । आर्गानम का अर्थ होता है । ज्ञान का सिद्धांत ।
फिर आस्पेंस्की ने कहा है कि दूसरी महत्वपूर्ण किताब है - रोजर बैकन की । उस किताब का नाम है - नोवम आर्गानम - ज्ञान का नया सिद्धांत । और तीसरी किताब वह कहता है । मेरी है ।  खुद उसकी । उसका नाम है - टर्शियम आर्गानम - ज्ञान का तीसरा सिद्धांत । और इस वक्तव्य को देने के बाद उसने 1 छोटी सी पंक्ति लिखी है । जो बहुत हैरानी की है । उसमें उसने लिखा है - बिफोर दि फर्स्ट एक्झिस्टेड । दि थर्ड वाज़ । इसके पहले कि पहला सिद्धांत दुनिया में आया । उसके पहले भी तीसरा था । पहली किताब लिखी है । अरस्तू ने 2000 साल पहले । दूसरी किताब लिखी है । 300 साल पहले बैकन ने । और तीसरी किताब अभी लिखी गई है । कोई 40 साल पहले । लेकिन आस्पेंस्की कहता है कि पहली किताब थी दुनिया में उसके पहले तीसरी किताब मौजूद थी । और तीसरी किताब उसने अभी 40 साल पहले लिखी है ।
जब भी कोई उससे पूछता कि यह क्या पागलपन की बात है ? तो आस्पेंस्की कहता कि यह जो मैंने लिखा है । यह मैंने नहीं लिखा । यह मौजूद था । मैंने सिर्फ उदघाटित किया है । न्यूटन नहीं था । तब भी जमीन में ग्रेविटेशन था । तब भी जमीन पत्थर को ऐसे ही खींचती थी । जैसे न्यूटन के बाद खींचती है । न्यूटन ने ग्रेविटेशन के सिद्धांत को रचा नहीं । उघाड़ा । जो ढंका था । उसे खोला । जो अनजाना था । उसे परिचित बनाया । लेकिन न्यूटन से बहुत पहले ग्रेविटेशन था । नहीं तो न्यूटन भी नहीं हो सकता था । ग्रेविटेशन के बिना तो न्यूटन भी नहीं हो सकता । न्यूटन के बिना ग्रेविटेशन हो सकता है ।
जमीन की कशिश न्यूटन के बिना हो सकती है । लेकिन न्यूटन जमीन की कशिश के बिना नहीं हो सकता । न्यूटन के पहले भी जमीन की कशिश थी । लेकिन जमीन की कशिश का पता नहीं था । आस्पेंस्की कहता है कि उसका तीसरा सिद्धांत पहले सिद्धांत के भी पहले मौजूद था । पता नहीं था । यह दूसरी बात है । और पता नहीं था । यह कहना भी शायद ठीक नहीं । क्योंकि आस्पेंस्की ने अपनी पूरी किताब में जो कहा है, वह इस छोटे से सूत्र में आ गया है । आस्पेंस्की की टर्शियम आर्गानम जैसी बड़ी कीमती किताब ।
मैं भी कहता हूं कि उसका दावा झूठा नहीं है । जब वह कहता है कि दुनिया में 3 महत्वपूर्ण किताबें हैं और तीसरी मेरी है । तो किसी अहंकार के कारण नहीं कहता । यह तथ्य है । उसकी किताब इतनी ही कीमती है । अगर वह न कहता । तो वह झूठी विनमृता होती । वह सच कह रहा है । विनमृतापूर्वक कह रहा है । यही बात ठीक है । उसकी किताब इतनी ही महत्वपूर्ण है । लेकिन उसने जो भी कहा है । पूरी किताब में । वह इस छोटे से सूत्र में आ गया है ।
उसने पूरी किताब में यह सिद्ध करने की कोशिश की कि दुनिया में 2 तरह के गणित हैं । 1 गणित है । जो कहता है । 2 और दो 4 होते हैं । साधारण गणित है । हम सब जानते हैं । साधारण गणित कहता है कि अगर हम किसी चीज के अंशों को जोड़ें । तो वह उसके पूर्ण से ज्यादा कभी नहीं हो सकते । साधारण गणित कहता है । अगर हम किसी चीज को तोड़ लें । और उसके टुकड़ों को जोड़ें । तो टुकड़ों का जोड़ कभी भी पूरे से ज्यादा नहीं हो सकता है । यह सीधी बात है । अगर हम 1 रुपए को तोड़ लें । 100 नए पैसे में । तो 100 नए पैसे का जोड़ रुपए से ज्यादा कभी नहीं हो सकता । या कि कभी हो सकता है ?
अंश का जोड़ कभी भी अंशी से ज्यादा नहीं हो सकता । यह सीधा सा गणित है । लेकिन आस्पेंस्की कहता है । 1 और गणित है । हायर मैथमेटिक्स । 1 और ऊंचा गणित भी है । और वही जीवन का गहरा गणित है । वहां 2 और 2 जरूरी नहीं है कि 4 ही होते हों । कभी वहां 2 और दो 5 भी हो जाते हैं । और कभी वहां 2 और दो 3 भी रह जाते हैं । और वह कहता है कि कभी कभी अंशों का जोड़ पूर्ण से ज्यादा भी हो जाता है ।
दुनिया में अब तक धार्मिक क्रांतियां हुई हैं । 1 धर्म के लोग दूसरे धर्म के लोग हो गए । कभी समझाने बुझाने से हुए । कभी तलवार छाती पर रखने से हो गए । लेकिन कोई फर्क नहीं पड़ा । हिंदू मुसलमान हो जाए । तो वैसे का वैसा आदमी रहता है । मुसलमान ईसाई हो जाए । तो वैसा का वैसा आदमी रहता है । कोई फर्क नहीं पड़ा । धार्मिक क्रांतियों से । राजनैतिक क्रांतियां हुई हैं । 1 सत्ताधारी बदल गया । दूसरा बैठ गया । कोई जरा दूर की जमीन पर रहता है । वह बदल गया । तो जो पास की जमीन पर रहता है । वह बैठ गया । किसी की चमड़ी गोरी थी । वह हट गया । तो किसी की चमड़ी काली थी । वह बैठ गया । लेकिन भीतर का सत्ताधारी । वही का वही है । आर्थिक क्रांतियां हो गई हैं । दुनिया में । मजदूर बैठ गए । पूंजीपति हट गए । लेकिन बैठने से मजदूर पूंजीपति हो गया । पूंजीवाद चला गया । तो उसकी जगह मैनेजर्स आ गए । वे उतने ही दुष्ट । उतने ही खतरनाक । कोई फर्क नहीं पड़ा । वर्ग बने रहे । पहले वर्ग था । जिसके पास धन है - वह । और जिसके पास धन नहीं है - वह । अब वर्ग हो गया - जिसमें धन वितरित किया जाता है - वह । और जो धन वितरित करता है - वह । जिसके पास ताकत है । स्टेट में जो है - वह । राज्य में जो है - वह । और राज्यहीन जो है - वह । नया वर्ग बन गया । लेकिन वर्ग कायम रहा । अब तक इन 5 - 6 हजार वर्षों में जितने प्रयोग हुए हैं । मनुष्य के लिए । कल्याण के लिए । सब असफल हो गए । अभी तक 1 प्रयोग नहीं हुआ है । वह है शिक्षा में क्रांति । वह प्रयोग शिक्षक के ऊपर है कि वह करे । और मुझे लगता है । यह सबसे बड़ी क्रांति हो सकती है । शिक्षा में क्रांति । सबसे बड़ी क्रांति हो सकती है । राजनीतिक । आर्थिक । या धार्मिक । कोई क्रांति का इतना मूल्य नहीं है । जितना शिक्षा में क्रांति का मूल्य है । लेकिन शिक्षा में क्रांति कौन करेगा ? वे विद्रोही लोग कर सकते हैं । जो सोचें । विचार करें । हम यह क्या कर रहे हैं ? और इतना तय समझ लें कि जो भी आप कर रहे हैं । वह जरूर गलत है । क्योंकि उसका परिणाम गलत है । यह जो मनुष्य पैदा हो रहा है । यह जो समाज बन रहा है । यह जो युद्ध हो रहे हैं । यह जो सारी हिंसा चल रही है । यह जो सफरिंग इतनी दुनिया में है । इतनी पीड़ा । इतनी दीनता । दरिद्रता है । यह कहां से आ रही है ? यह जरूर हम जो शिक्षा दे रहे हैं । उसमें कुछ बुनियादी भूलें हैं । तो यह विचार करें । जागें । लेकिन आप तो कुछ और हिसाब में पड़े रहते होंगे । ओशो ।

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