शनिवार, अगस्त 13, 2011

भविष्य के सपनों का रहस्य

काफ़ी पहले की बात है । कौशल राज्य के राजा बिम्बसार ने 1 रात को कुछ विचित्र सपने देखे । राजा को उन विचित्र सपनों का अर्थ बिलकुल भी समझ में नहीं आया । और उन्हें बेहद डर लगा कि कहीं इन अशुभ जैसे लगते सपनों का अर्थ भयंकर विपत्तिसूचक और विनाशकारी न हो । इसलिए सुबह होते ही उन्होंने अपने राज्य के सभी विद्वान दरबारियों को उन खास सपनों का रहस्य जानने के लिये बुलाया ।
तब वे सभी दरबारी राजा का भय जानकर बहुत खुश हुये । उन्होंने सोचा कि राजा से अधिक से अधिक धन ऐंठने का यह 1 सुनहरा मौक़ा है । यही सोचकर दरबारियों  ने तय किया कि राजा को इन सपनों का ऐसा अर्थ बतायेंगे । जिससे उनका पूरा पूरा धन लाभ हो ।
इसलिए उन सबने राजा से कहा - महाराज ! इन सपनों का अर्थ तुरन्त तो नहीं बताया जा सकता । हम इससे सम्बन्धित गृन्थों ( स्वपन विचार आदि ) को पढ़कर इनका सही अर्थ निकालेंगे । इसलिए कृपया आप हमें 2-4 दिन का समय दें
यह सुनकर राजा ने उन दरबारियों को 1 सप्ताह की मोहलत दी । 1 सप्ताह के बाद । वे सब दरबारी राजा के पास जाकर बोले - महाराज ! हम सबने आपके देखे

सपनों पर कई गृन्थों की सहायता से शोध किया है । और अन्त में इस निर्णय पर पहुँचे कि - ये सभी सपने किसी विपत्ति के सूचक हैं । यानी आपके परिवार और राज्य में कोई अनर्थ होने वाला है ।
यह सुनकर राजा बैचैन हो गया । और बोला - इस विपत्ति को रोकने का कोई उपाय तो अवश्य होगा ? आप लोग इस पर विचार करके हमें बताईये ।
तब उन दरबारियों ने कहा  - जी महाराज ! इस विपत्ति को टालने का 1  उपाय है । आप देश के हर चौराहे पर यज्ञ करायें । और यज्ञ पूर्ण होने पर दरबारियों को भोज और मुँहमाँगा पुरुस्कार पदवी आदि दें । इस प्रकार पुण्य यग्य से आने वाली आपत्ति टल जायेगी । और पूरे देश का कल्याण भी होगा ।
तब घवराये राजा बिम्बसार ने उन चालाक दरबारियों के कहे अनुसार कोषाध्यक्ष को यज्ञ कराने का आदेश दिया ।
लेकिन राजा बिम्बसार की रानी बड़ी बुद्धिमान थीं । उसने राजा से कहा - राजन आप शीघ्रता में इन सपनों के बारे में कोई निर्णय न करें । वास्तव में ये दरबारी विद्वान नहीं मालूम पङते । लेकिन समस्त विद्याओं के जानकार भगवान बुद्ध आजकल जेठवन में ठहरे हुये हैं । आप उनके पास जाकर अपने सपनों का हाल कहें । और वे जैसा कहें । वैसा ही करें ।
राजा को रानी की यह बात उचित ही लगी । वे स्वयं अधिकारियों के साथ जेठवन गये । और बुद्ध को सादर अपने महल में निमंत्रित किया ।
फ़िर बुद्ध के पधारते ही राजा ने कहा - भगवान ! आप सर्वज्ञ हैं । ग्यानी हैं । मैंने कुछ अजीव से सपने देखे हैं । और इस कारण मुझे बहुत चिंता है । आप कृपया इन सपनों का अर्थ बताकर आने वाली विपत्ति से मेरी और प्रजा की रक्षा करें  ।

बुद्ध मुस्कराते हुये बोले - राजन ! आप अपने सपनों के बारे में बताईये । फिर मैं उनका रहस्य बताऊँगा ।
तब राजा ने अपना सपना सुनाया - हे भगवन ! पहले मैंने 4 भैंसें देखे । वे 4 भैंसें रंभाते और लड़ते हुये राजमहल में घुस आये । कई लोग उन भैसों की लड़ाई देखने के लिए वहाँ एकत्र हो गये । परन्तु भैंसें लड़ना छोड़कर अलग अलग रास्ते पर चले गये । इसका क्या मतलब है भगवन ?
बुद्ध बोले - इस सपने का अर्थ है कि आपके वंश के बाद के राजा पापी होंगे । उनके राज्य काल में आसमान के बादल बिना वर्षा किये लौट जायेंगे । जिससे जनता को घोर निराशा का सामना करना होगा ।

तब राजा ने दूसरा सपना बताया - भगवन ! मैंने 1 और भी विचित्र सपना देखा कि छोटे पौधों में ही पूरी ऊँचाई तक बढ़े बिना मंजरी और फल भी लगे देखे । इसका क्या रहस्य है प्रभु ?
बुद्ध बोले - यह स्वप्न भी उसी युग से सम्बन्ध रखता है । उस युग में लड़कियों के बाल विवाह होंगे । और वयस्क होने के पूर्व ही वे माँ बन जायेंगी ।
फ़िर राजा ने कहा - भगवान ! मैंने बछड़ों से गायों को दूध पीते भी देखा ।
बुद्ध फ़िर से बोले - आने वाले युग में वृद्ध लोग अपना पेट भरने के लिए अपने छोटों पर निर्भर होंगे ।
राजा ने अगले सपने के बारे में बताया - मैंने देखा । किसान हलों में बैलों की जगह बछड़ों को बाँध रहे हैं ।
बुद्ध बोले - उस युग में राजा योग्य अनुभवी मंत्रियों को हटाकर अनुभव हीन और अयोग्य व्यक्तियों को उनके स्थान पर नियुक्त करेंगे ।
राजा ने कहा - इसके बाद मैंने खुली जगह पर 1 विचित्र घोड़ा देखा । उसके दोनों तरफ़ मुँह थे । वह दोनों मुँहों से दाना खा रहा था । इस विचित्र सपने का क्या रहस्य है ?
बुद्ध ने कहा - यह स्वप्न बड़ा अर्थपूर्ण है । राजन ! इस सपने का अर्थ यह है कि आने वाले युग में न्यायाधीश निष्पक्ष न्याय नहीं करेंगे । और दोनों पक्षों से रिश्वत लेंगे । फिर भी वे किसी के प्रति भी न्याय नहीं करेंगे ।
तब राजा बोला - 1 आदमी 1 रस्सा बाँट रहा था । रस्सा बाँटने के बाद बँटे हुए हिस्से को नीचे गिराता जा रहा था । उस आदमी की आँख बचाकर 1 मादा सियार नीचे पङे बँटे रस्से को चबाती जा रही थी ।

बुद्ध ने इस सपने का अर्थ बताया - आने वाले युग में पाप बढ़ जाने से बहुत अधिक लोग दरिद्र हो जायेंगे । पति का कड़ी मेहनत का धन । उनकी पत्नियाँ तुरन्त खर्च कर देंगी ।
फ़िर राजा ने खुश होकर 1 अन्य सपने के बारे में बताया -  मैंने राजमहल के पास जल से भरा 1 घड़ा देखा । उसके चारों तरफ़ कई और खाली घङे थे । वहाँ पर सभी जाति वर्ण के लोग पानी भर कर ला रहे थे । और भरे हुए घड़े में डाल रहे थे । जबकि भरा हुआ घड़ा पहले ही छलक रहा था । खाली घड़े में कोई पानी नहीं डाल रहा था । आ़खिर ऐसा क्यों ?
बुद्ध बोले - भविष्य में अन्याय और अधर्म बढेगा । प्रजा कठिन परिश्रम से धन कमाकर राजा के भय से खज़ाने में डाल देगी । जहाँ पहले ही बहुत धन भरा होगा । लेकिन प्रजा के घर खाली घड़ों की भाँति खाली रहेंगे ।
राजा बोला - 1 अन्य स्वप्न में मैंने 1 पात्र में कुछ अनाज पकते हुये देखा । लेकिन अन्न समान रूप में नहीं पक रहा था । पात्र के 1 हिस्से में तो अन्न पककर गल चुका था । जबकि दूसरे हिस्से का अन्न ठीक से पका हुआ था । और 1 और हिस्से का तो अन्न कच्चा ही था ।
तब बुद्ध बोले - भविष्य में खेती बाड़ी कुछ ऐसी ही होगी । कुछ लोग भविष्य में अति बरसात से पीड़ित रहेंगे । और कुछ हिस्सों में सूखा पड़ेगा ।
अपना 1 और स्वप्न बताते हुये राजा बोला - मैंने स्वपन कुछ लोगों को गली गली घूमकर चन्दन बेचकर धन लेते हुये देखा ।
बुद्ध बोले - इसका अर्थ यह है कि आने वाले युग में नीच व्यक्ति धर्म का उपदेश देकर तुच्छ भौतिक सुख प्राप्त करेंगे ।

फ़िर राजा बोला - मैंने 1 सपना और देखा । पानी पर पत्थर तैर रहे थे । और राजहंसों का 1 झुण्ड कौओं के पीछे रेंग रहा था । 1 अन्य स्थान पर कुछ बकरियों को बाघ को मारकर भी खाते देखा ।
बुद्ध ने कहा - भविष्य में बड़े बड़े महात्मा भी समाज में अनादरित होकर समय के बहाव में पत्थरों की तरह वह जायेंगे । नीच लोगों के हाथ में शासन होने के कारण राजहंस जैसे सन्त कौओं के समान दुष्ट लोगों के  चिन्हों पर चलेंगे । दुष्ट व्यक्तियों के हाथों में अधिकार आ जाने से सात्विक गुण वाले व्यक्ति भी उनसे भयभीत रहेंगे । इतना ही नहीं । वे नीच व्यक्ति अवसर पाकर अच्छे व्यक्तियों का अन्त भी कर देंगे ।
बुद्ध के इन सारयुक्त वचनों से राजा बिम्बसार के सभी सन्देह दूर हो गये । साथ ही उनका भय और चिन्ता भी दूर हो गई । वे समझ गये कि दरबारियों ने अपने स्वार्थ के कारण ऐसा परामर्श दिया था । उन्होंने यज्ञ  का विचार छोड़ दिया । और महात्मा बुद्ध को भोजन आदि के उपरांत उन्हें आदर के साथ विदा किया ।
Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...