गुरुवार, जून 24, 2010

बाबा..बाबा..वाह..वाह..बाबा




आपने कथा भागवत में सुना होगा । शास्त्रों में भी पढा होगा । कि घर पर साधु संतो का आना बहुत सौभाग्य की बात है । इस बात का समर्थन या असमर्थन तो फ़िलहाल मैं नहीं कर रहा । पर पिछले पचीस सालों में ज्यादातर अलग अलग मत अलग अलग पन्थ के बाबाओं साधुओं का निरंतर आना जाना मेरे घर पर होता रहता है । कभी कभी मैं विचार करता हूँ । कि कबीर , रैदास , नानक आदि
कैसा फ़ील करते होंगे । जब अचानक दो चार बाबा लोग उनके घर पहुँच जाते होगे । कबीर आदि की तो मैं नहीं जानता । पर मेरी पूरी दिनचर्या ही अस्त व्यस्त हो जाती है । देर रात तक सतसंग का माहौल । अनेक लोगों का आना जाना । लम्बे चौङे कभी न खत्म होने वाले वार्तालाप ।
ढेरों जङी बूटियों । सात्विक , तामसिक , राजसिक साधनाओं की बातें । अपने अपने पन्थ को ऊँचा बताना । वास्तव में " अद्वैत मार्गी " होने के बाद मुझे ये सब बातें । सब साधनायें व्यर्थ लगती हैं । पर दूसरे की बात भी सुननी पङती है । यहाँ जिन दो बाबाओं की फ़ोटो आप देख रहे हैं । उनमें निजानन्द सम्प्रदाय के " श्री श्री 108 बाबा गुरुदीप दास " ग्राम - गिजौली । शिव मंदिर । जिला मथुरा ।
और दूसरे " श्री श्री 108 बाबा राजानन्द योगी रिशीकेश से हैं । राजानन्द बाबा जङी बूटियों का अच्छा जानकार है । और कुछ असाध्य रोगियों । जिनके घाव आदि से सङने से पैर कटने की नौबत आ गयी थी । को अपने द्वारा ठीक किया जाना बताते हैं । बाबा जब जङी बूटियों पर बोलते हैं । तो यदि डाक्टर उस समय यदि उनकी बात सुने तो हैरत में पङ जाय । कुछ समय के लिये ऐसा लगने लगता है । कि कुछ बङे रोग बाबा चुटकियों में ठीक कर देंगे ।
गुरुदीप बाबा " केंसर , रीढ की हड्डी , और गठिया वात का विशेषग्य , स्वयं को बताता है । इस बाबा का मानना है । कि चार पांच साल से गठिया के पीङित चारपाई पर पङे रहने वाले मरीज को कुछ ही दिनों में चंगा कर देता है । गुरुदीप बाबा बचपन से ही घर से भाग आया था । और " नागा " अघोर " " नानक " आदि कई पन्थों और कई मान्त्रिक साधनाओं से जुङा रहा । पंजाब का रहने वाला ये बाबा अक्सर भ्रमण पर चला जाता है ।
कृपया मुझे जानने वाले " पाठक " इस विवरण में मेरा कोई समर्थन न समझें । इस तरह के हजारों बाबाओं से मेरा मिलना होता रहता है । और सभी अपने अपने को पहुँचा हुआ बताते हैं । पर वास्तविक ग्यानी लाखों में कोई एक होता है । मैं आपको बिना बुद्धि विवेक से विचारे ऐसे किसी बाबा द्वारा इलाज कराने की सलाह नहीं देता । " नीम हकीम खतरे जान " कहावत शायद ऐसी ही स्थिति के लिये कही गयी है। और ऐसा भी नहीं कि बाबाओं की जङी बूटियां फ़ायदा नहीं करती । पर यदि आपको लग रहा है । कि किसी बाबा की बात में कोई दम है । तो इलाज कराने से पूर्व उसके द्वारा ठीक किये गये मरीज से बात करें । आजकल तो बाबा अपने द्वारा ठीक किये मरीजों का पता और फ़ोन न. भी रखते हैं । उससे पूरा ब्योरा जानें । तब बाबा से इलाज करायें । यह सत्य है । कि जङी बूटी यदि रोग के अनुसार और सही मिल जाय तो बहुत लाभ करती है । पर गलत स्थिति में नुकसान की संभावना भी अधिक ही होती है । अतः आखिरी फ़ैसला सोच समझकर ही लें ।

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