रविवार, अगस्त 08, 2010

14 मनु और उनके मन्वन्तर

पूर्वकाल में सबसे पहले स्वायम्भुव मनु हुये । उनके आग्नीध आदि अनेक पुत्र हुये । मरीचि । अत्रि । अंगिरा । पुलत्स्य । पुलह । क्रतु । वसिष्ठ । ये इस मन्वन्तर के सप्त ऋषि हुये । इस मन्वन्तर में जय । अमित । शुक्र । याम देवताओं के बारह गण थे । जिनमें चार सोमपायी थे । इस में विश्वभुक और वामदेव इन्द्रपद से प्रसिद्ध हुये । इस समय वाष्कलि नाम का दैत्य हुआ । जो विष्णु द्वारा मारा गया ।
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दूसरे । स्वारोचिष । मनु थे । इनके चैत्रक । विनत । कर्णान्त । विधुत । रवि । बृहदगुण । और नभ नाम के पुत्र हुये । ऊर्ज । स्तम्ब । प्राण । ऋषभ । निश्चल । दत्तोलि । और अर्वरीवान ये सात उस समय के सप्त ऋषि थे । द्वादश । तृषित । पारावत । देवगण हुये । विपश्चित नाम का इन्द्र था । उस समय । पुरुकृत्सर । दैत्य हुआ । जिसे विष्णु ने हाथी का रूप धारण कर मारा ।
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तीसरे औत्तम मनु हुये । इन के अज । परशु । विनीत । सुकेत । सुमित्र । सुबल । शुचि । देव । देवावृध ।महोत्साह । अजित । नामक पुत्र हुये । इस समय के सप्त ऋषि । रथौजा । ऊर्ध्वबाहु । शरण । अनघ ।मुनि । सुतप । और शंकु थे । वशवर्ति । स्वधाम । शिव । सत्य । प्रतर्दन । ये पांच देवगण हुये । इस प्रत्येक गण में बारह देवता थे । स्वशान्ति नाम का इन्द्र हुआ । प्रलम्बासुर नाम का उस समय दैत्य हुआ । जिसेविष्णु ने । मत्स्यावतार लेकर मारा ।
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चौथे । तामस मनु । हुये । इनके जानुजंड्घ । निर्भय । नवख्याति । नय । विप्रभृत्य । विविक्षिप । दॄढेषुधि ।
प्रस्तलाक्ष । कृतबन्धु । कृत । ज्योतिर्धाम । पृथु । काव्य । चैत्र । चेताग्नि । हेमक । नाम के पुत्र हुये । इस समय । सुरागा । सुधी आदि सप्त ऋषि हुये । इस समय हरि आदि देवताओं के चार गण हुये । प्रत्येक गण मेंपच्चीस देवता थे । शिवि नाम का इन्द्र हुआ । भीमरथ नाम का दैत्य हुआ । कूर्मावतार द्वारा इसका वध हुआ ।
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पांचवें रैवत मनु थे । इनके महाप्राण साधक । वनबन्धु । निरमित्र । प्रत्यंग । परहा । शुचि । दृढवृत । केतुश्रंग ऋषि थे । वेदश्री । वेदबाहु । ऊर्ध्वबाहु । हिरण्यरोम । पर्जन्य । सत्यनेत्र । स्वधाम ये सात सप्तऋषिथे । इस समय अभूतरजस । अश्वमेधस । बैकुन्ठ । अमृत । ये चार देवगण हुये । जिनमें चौदह देव हुये । विभु नाम का इन्द्र था । शान्त नाम का दैत्य हुआ । विष्णु ने हंसरूप धारणकर उसका वध किया ।
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छठवें । चाक्षुष । मनु हुये । इनके उरू । पुरू । महाबल । शतधुम्न । तपस्वी । सत्यबाहु । कृति । अग्निष्णु ।
अतिरात्र । सुधुम्न । नर नाम के पुत्र हुये । हविष्मान । उत्तम । स्वधामा । विरज । अभिमान । सहिष्णु ।
मधुश्री । ये उस समय के सप्तऋषि थे । आर्य । प्रभूत । भाव्य । लेख । पृथुक ये पांच देवगण हुये । इनमें आठ आठ देवता थे । मनोजव नाम का इन्द्र हुआ । महाकाल दैत्य हुआ । जिसे विष्णु ने अश्वरूप धारणकर मारा ।
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सातवें वैवस्वत मनु हुये । इनके इक्ष्वाकु । नाभाग । धृष्ट । शर्याति । नरिष्यन्त । पांसु । नभ । नेदिष्ट । करूष । पृषध्न । सुधुम्न नाम के पुत्र हुये । इस समय । अत्रि । वसिष्ठ । जमदग्नि । कश्यप । गौतम । भरद्वाज । विश्वामित्र ये सप्तऋषि हुये । इनमें उनचास मरुदग्न । बारह आदित्य । ग्यारह रुद्र । आठ वसु । दो अश्विनी
कुमार । दस विश्वेदेव । दस आंगिरसदेव । नौ देवगण थे । तेजस्वी नाम का इन्द्र हुआ । हिरण्याक्ष नाम का
दैत्य हुआ । जिसे वराह अवतार ने मारा ।
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आठवें । सावर्णि मनु हुये । इनके विजय । आर्ववीर । निर्मोह । सत्यवाक । कृति । वरिष्ठ । गरिष्ठ । वाच ।
संगति नामक पुत्र थे । इस समय अश्वत्थामा । कृपाचार्य । व्यास । गालव । दीप्तिमान । ऋष्यश्रंग । परशुराम । ये सप्त ऋषि हुये । सुतपा । अमृताभ । मुख्य ये तीन देवगण हुये । विरोचन का पुत्र बलि इन्द् हुआ । विष्णु द्वारा तीन पग भूमि मांगने पर इन्द्र पद छोडकर सिद्धि प्राप्त हुआ ।
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नवें मनु । वरुण के पुत्र दक्षसावर्णि । धृतिकेतु । दीप्तिकेतु । पच्चहस्त । निरामय । पृथुश्रवा । बृहदधुम्न । ऋचीक । बृहदगुण इनके पुत्र थे । इस समय मेधातिथि । धुति । सवस । वसु । ज्योतिष्मान । हव्य । कव्य । विभु ये सप्तऋषि हुये । पर । मरीचिगर्भ । सुधर्मा । ये तीन देवता हुये । कालकाक्ष नामका राक्षस होगा ।
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दसवें मनु धर्म के पुत्र । धर्मसावर्णि होंगे । सुक्षेत्र । उत्तमौजा । भूरिश्रेण्य । शतानीक । निरमित्र । वृषसेन ।
जयद्रथ । भूरिधुम्न । सुवर्चा । शान्ति । इन्द्र इनके पुत्र होंगे । इस समय अयोमूर्ति । हविष्मान । सुकृति । अव्यय । नाभाग । अप्रतिमौजा । सौरभ ये सप्तऋषि हुये । प्राण नामक देवताओं के सौ गण विधमान होगे । इन्द्र शान्त नाम का होगा । दैत्य बलि होगा । जिसको विष्णु गदा से मारेंगे ।
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ग्यारहवें मनु रुद्र के पुत्र । रुद्रसावर्णि होंगे । इनके पुत्र सर्वत्रग । सुशर्मा । देवानीक । पुरु । गुरु । क्षेत्रवर्ण । दृढेषु । आर्द्रक । और पुत्र ( नाम ) होंगे । इस समय । हविष्मान । हविष्य । वरुण । विश्व । विस्तर । विष्णु । अग्नितेज ये सप्तऋषि हुये । विहंगम । कामगम । निर्माण । रुचि । ये चार देवगण होंगे । एक गण में तीस देवता होंगे । इन्द्र वृषभ नाम का होगा । दैत्य दशग्रीव होगा । लक्ष्मी के रूप मे विष्णु उसको मारेंगे ।
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बारहवें मनु । दक्ष के पुत्र । दक्षसावर्णि होंगे । इनके देववान । उपदेव । देवश्रेष्ठ । विदूरथ । मित्रवान । मित्रदेव । मित्रबिन्दु । वीर्यवान । मित्रवाह । प्रवाह नाम के पुत्र हुये । इस समय । तपस्वी । सुतपा । तपोमूर्ति । तपोरति । तपोधृति । धुति । तपोधन ये सप्तऋषि हुये । स्वधर्मा । सुतपस । हरित । रोहित । ये देवगण होंगे । प्रत्येक गण में दस देव होंगे । ऋतधामा नाम का इन्द्र होगा । दैत्य तारकासुर होगा । विष्णु नपुंसक रूप में उसका वध करेंगे ।
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तेरहवें मनु रौच्य होंगे । इनके चित्रसेन । विचित्र । तप । धर्मरत । धृति । सुनेत्र । क्षेत्रवृति । सुनय नाम के पुत्र हुये । इस मन्वन्तर में । धर्म । धृतिमान । अव्यय । निशारूप । निरुत्सक । निर्मोह । तत्वदर्शी ये सप्तऋषि हुये । सुरोम । सुधर्म । सुकर्म तीन देवगण होंगे । प्रत्येक में तैतीस देवता होंगे । दिवस्पति नाम के इन्द्र होंगे । त्वष्टिभ नाम का दैत्य होगा । विष्णु मयूर रूप में उसको मारेंगे ।
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चौदहवें मनु । श्री हरि के पुत्र ।भौत्य होंगे । इनके । उरू । गम्भीर । धृष्ट । तरस्वी । ग्राह । अभिमानी । प्रवीर । जिष्णु । संक्रन्दन । तेजस्वी । दुर्लभ नाम के पुत्र होंगे । इस समय । अग्नीध्र । अग्निबाहु । मागध । शुचि । अजित । मुक्त । शुक्र ये सप्तऋषि होंगे । चाक्षुषि । कर्मनिष्ठ । पवित्र । भ्राजिन । वचोवृद्ध । ये पांच देवगण होंगे । प्रत्येक गण में सात देवता होंगे । शुचि नाम के इन्द्र होंगे । महादैत्य नाम का दैत्य होगा । विष्णू उसका वध करेंगे

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