सोमवार, जुलाई 19, 2010

आपके फ़ोन

हाय । मैं नवीन अग्रवाल चन्दौसी । मुरादाबाद से हूं । मैंने आपका लेख " काली चिडिया का रहस्य " पडा । उसी में मुझे आपका फ़ोन न. मिला है । मैं आपसे कुछ बात करना चाहता हूं । क्या आप कुछ समय मेरे लिये निकालकर बात कर सकते हैं ? आपका जो भी जबाब हो प्लीज मेरे फ़ोन न. पर sms या मिस काल करें । ( sms )
*हलो । मैं पीलीभीत से बोल रहा हूं । मैंने सर्पों पर आपका लेख " क्या है बायगीरी का रहस्य " पडा । यदि किसी को सर्प काट ले तो उसका इलाज नहीं कराना चाहिये ? यदि कराना चाहिये तो क्या ? आपके ख्याल से भूत प्रेत होते हैं ? यह सब अफ़वाह है । साधु संत अफ़वाह फ़ैलाकर जनता को लूटते हैं । आपकी एजूकेशन क्या है । बी . ए . मैं कौन कौन से subject थे । हां मैंने आपके लेख ज्यादा तो नहीं पडे । मैं आपको एडवाइज देना चाहता हूं । कि ये भूत प्रेत कुछ नहीं होते । बताइये आपने कभी भूत देखे हैं । खैर आपसे परिचय हो गया । बात हो गयी । अब आगे आपसे बात कर लिया करूंगा । बी. ए . में चार ही subject थे ? आप को अपने subject भी याद नहीं हैं ?
** मैं दीप्ति लखनऊ से बोल रही हूं । मेरे पति को अक्सर दौरे से आते हैं । इलाज का लाभ नहीं हुआ । कभी कभी ऐसी स्थिति मेरी भी हो जाती है । क्या ये भूत प्रेत वाली कोई बात है । या अन्य कोई बात । क्या आप मेरी सहायता कर सकते हैं । क्या मुझे पति को लेकर आना होगा ?
*****
मेरी बात - कृपया sms न करें । मैंने disturb से बचने के लिये sms की ringtone आफ़ कर रखी है । इसलिये मुझे sms की सूचना नहीं हो पाती । आप सुबह 7.00 am to 10.00 am और दोपहर 3.00 pm to 6.00 pm पर मेरे फ़ोन न. पर बात कर सकते हैं । यदि कोई खास परेशानी है । तो 24 घंटे में कभी भी बात कर सकते हैं ।
अक्सर मेरे किसी भी एक या दो लेख को पडकर पाठक प्रायः उत्तेजना सी महसूस करते हैं और हडबडाहट में फ़ोन द्वारा । sms द्वारा । या email द्वारा अपनी प्रतिक्रिया देने लगते हैं । किसी भी प्रतिक्रिया को पाना सुखद तो लगता है । पर उनकी आधी जिग्यासाओं के उत्तर यकायक देना संभव नहीं हो पाता । मेरे दस ब्लाग्स में से आपने कोई लेख पडा । और अचानक सवाल करने लगे । जरा सोचिये ? इंसान एकदम से कैसे समझ सकता है कि आप किस विषय पर और किस दृष्टिकोण से क्या बात करना चाहते हैं ?
नवीन जी भूत प्रेतों को नहीं मानते और मानते भी हैं । उन्हें मेरा लेख काफ़ी अच्छा लगा । और अब वे एक नियमित पाठक के तौर पर मेरे सभी लेखों का अध्ययन करेंगे । पीलीभीत से जिन सज्जन का फ़ोन आया । जल्दी में मैं उनका नाम तो नहीं पूछ पाया । पर उनकी भी मिश्रित प्रतिक्रिया थी । वे मेरे " बायगीरी ..." वाले लेख की तारीफ़ करना चाह रहे थे । पर जल्दवाजी में शब्दों का चयन नहीं कर पा रहें थे । एक तरफ़ वे मेरे बायगीरी लेख के पूर्ण समर्थक थे । तो दूसरी तरफ़ भूतिया लेखों की आलोचना भी कर रहे थे । उनके अनुसार मुझे ऐसा अंधविश्वास नहीं फ़ैलाना चाहिये था ? उन्होंने मेरी एजूकेशन के बारे में इसलिये पूछा कि शायद में कम पडा लिखा होऊं । इसलिये मेरे विचार ऐसे हों । बी. ए . में चार subject जानकर उन्हें हैरानी हुयी । पर आज से बीस साल पहले चार ही होते थे ।
दीप्ति जी को मैं कोई तान्त्रिक लगा था । जिससे वो एक चमत्कार की तरह इलाज कराना चाहती थीं । मैं आप सब लोगों से कई बार कह चुका हूं और फ़िर वही बात कहता हूं । मेरे बारे में कोई भी राय एकदम बना लेने से पहले आप मेरी कुछ और रचनाओं का अध्ययन करेंगे तो आधे से ज्यादा बात आपको उसी समय पता चल जायेगी । आप फ़ोन पर चार सवाल लेकर आते हैं । ब्लाग्स में आपको चालीस प्रश्नों के उत्तर मिल जायेंगे । इसलिये कृपया यदि आपके मन में कोई प्रश्न उठ रहा है । तो फ़ोन करने से पहले ब्लाग के लेखों पर एक निगाह डालें । अपने विषय से सम्बंधित और लेखों को पडें । फ़िर आश्वस्त होकर अच्छी या बुरी राय दें । मैं आपका हरसंभव सहयोग करूंगा ।

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