बुधवार, जून 23, 2010

मनमुखी साधना..??




आज से दो साल पहले की बात है । मैं उन दिनों आगरा से बाहर एक अग्यात स्थान पर " श्री महाराज जी " के साथ था । दो तीन महीने से महाराज जी ने कई बार कहा कि तुम कुछ दिनों के लिये आगरा चले जाओ । मुझे उन दिनों बेहद आनन्द की प्राप्ति हो रही थी और मैं कहीं भी जाने का इच्छुक नहीं था । मुझे यह भी आश्चर्य हो रहा था कि महाराज जी मुझे अपने से दूर क्यों भेजना चाहते हैं ? आखिरकार मैं अङा रहा । मगर बाद में कुछ ऐसे विचित्र हालात बने कि " होली " के लगभग कुछ पहले मुझे स्वयं आगरा आना पङा । आगरा आने के बाद मुझे कुछ भी अच्छा नहीं लग रहा था । हर समय ऐसा लगता था कि प्रथ्वी पर मेरे रहने की अवधि शीघ्र समाप्त हो जाय । और मैं जल्दी से वापस अपने " असली घर " जा सकूँ ।
ऐसे ही विचारों में मैं एक दिन सङक पर वृक्ष के नीचे बैठा था । जब भरतपुर निवासी गौतम से मेरी मुलाकात हुयी । गौतम जी स्वाभिमानी प्रकृति के इंसान हैं । और अपना दुखदर्द दूसरे से शेयर करने में यकीन नहीं रखते । लेकिन उस समय वो बहुत परेशान हालातों का सामना कर रहे थे । कुछ ही महीने पूर्व उनके पिता का लिवरोसिस नामक बीमारी से देहान्त हो चुका था । इलाज में लगभग सारा पैसा खर्च हो गया था । जिस समय उनके पिता इस बीमारी की गम्भीर स्थिति में थे । गौतम उन दिनों मुम्बई फ़िल्म इंडस्ट्री में सन्घर्ष कर रहे थे । और उन्हें काम मिलना शुरू हो गया था । कि तभी उनके पिता की गम्भीर हालत की खबर उनके पास पहुँची । और उन्हें सब कुछ ज्यों का त्यों छोङकर मुम्बई से आना पङा । गौतम परिवार इससे पूर्व तीन बङे t. v फ़ेमस संतों से दीक्षा ले चुका था । पर उन्हें कोई लाभ नहीं हुआ था । बल्कि उनके पिता का मानना था कि " बच्चा केस " विवादित संत की बतायी साधना से उनका अहित हुआ है । खैर..गौतम के पिता अक्सर बीमारी में यह कहते थे । कि अब उन्हें ऐसा लगता है कि उन्हें डाक्टर के इलाज से कोई लाभ नहीं होगा । और वह उन्हें किसी सच्चे संत की शरण में ले जाय । गौतम तीस हजार रुपये सप्ताह का इलाज तो वहन कर रहे थे । पर सच्चे संत को किस तरह तलाश करें ? यही वो समय था । जब महाराज जी मुझसे बार बार आगरा जाने की कह रहे थे । इस सम्बन्ध में और रहस्य तो मैं किसी कारणवश नहीं बता पाऊँगा । पर गौतम परिवार भी " एक अजीव बात " से प्रभावित हुआ था । और तमाम आर्थिक कष्ट के साथ साथ " मृत्यु " जैसा संकट भी झेलना पङा । काली..दुर्गा..राधा..आदि शक्तियों की पूजा लोग मनमाने ढंग से करते हैं । उन्हें शायद पता नहीं कि ये " महामाया " शक्ति है । ठीक रास्ता मिल गया तो बल्ले बल्ले..वरना बहुत बुरे अंजाम भी होते हैं । प्रायः लोग उन धार्मिक किताबों के बहकावे में आ जाते हैं । जो किसी साधु संत के अनुभव पर आधारित न होकर । साधारण लेखकों द्वारा पुराण आदि का अध्ययन करके बनायी गयी होती है । ऐसी किताव में एक तरह से " लालच भक्ति " के नये अध्याय होते है । जिनका वास्तविकता से कोई लेना देना नहीं होता । ये मन्त्र इस तरह से कर लो । धन पाना है तो ये कर लो । किसी दुश्मन को मारना है । तो ये मन्त्र है । क्योंकि ये मन्त्र प्राचीन ग्रन्थों से लिये गये होते है । इसलिये प्रभावी तो होते हैं । पर इनका जो तरीका उस किताब में होता है । वो अधूरा और घातक होता है । एक पूर्ण शक्तिशाली मन्त्र किस तरह काम करता है । और उसका असली तरीका क्या है । ये विचारा वो किताब में से किताब लिखने वाला क्या जाने । तब ऐसी स्थिति में वो किताबी मन्त्र के रूप में पाठक को एक ऐसी गाङी पकङा देता है । जिसका इंजन भी धोखा देने वाला । जिसके ब्रेक भी फ़ेल । जिसमें लाइट भी नहीं । जिसमें हार्न ( संकेतक ) भी नहीं । और गाङी जा रही है । अग्यात और घनघोर अंधेरे की तरफ़ । ऐसी हालत में जो अंजाम हो सकता है । वही होता है । आप किसी देवी देवता या इष्ट की साधारण
पूजा घरेलू टाइप खूब करें । इसमें यदि आपसे जाने अनजाने कोई गलती भी हो गयी । तो भी आपका कोई अहित नहीं होगा । क्योंकि प्रभु के विधान के अनुसार इस तरह की गलतियाँ सदा माफ़ हैं । पर आप सयाने बन कर । विशेष पूजा । विशेष साधना । विशेष फ़ल हेतु करते हैं । तो इसमें साधना के अनुसार नियमाबली का पालन करता होता है । यहाँ मनमानी करने पर आपको दन्ड भी विशेष मिलता है । मैंने 25 साल के साधना जीवन में कई ऐसे परिवारों को देखा है । जो संतोषी भाव से साधारण भक्ति करते रहे तब तक बहुत सुखी थी । फ़िर किसी नकली साधु । तान्त्रिक मान्त्रिक के फ़ेर में पङकर घोर लालच में मनमुखी देवी उपासना " हरिंग " करिंग " जैसे मन्त्रों का जाप आदि करने लगे और पूर्णत बरबाद हो गये । यहाँ आप किसी मन्त्र या देवता या अन्य इष्ट की उपासना बिजली के उदाहरण से समझें । जो मन्त्र या उपासना ठीक प्रकार से हो जाने पर आपको मनवांक्षित उच्च फ़ल
देने में समर्थ है । वो गलत हो जाने पर किस पर वार करेगी ? बिजली का आप सही उपयोग जानते हैं । बिजली के तार कहाँ जोङे जाँय ? उनको कैसे छुआ जाता है । उसे अन्य उपकरणों से जोङकर किस प्रकार लाभ लेते हैं ? यदि ये सब जानते हैं । तो निसंदेह बिजली से लाभ ही लाभ हैं । पर आप मनमाने ढंग से उसे छूते हैं । उपकरणों में गलत जगह कनेक्ट करते हैं । तो दुर्घटना तो मामूली बात है । अक्सर मौत भी हो जाती है । यही बात तमाम साधनाओं पर लागू होती है । अगर साधना अच्छा ही अच्छा फ़ल देती । तो कोई भी ऐरा गेरा नत्थू खैरा कभी भी कहीं भी साधना कर सकता था ।
अगर आप किसी प्रकार की साधना कर रहे हैं । और साधना मार्ग में कोई परेशानी आ रही है । या फ़िर आपके सामने कोई ऐसा प्रश्न है । जिसका उत्तर आपको न मिला हो । या आप किसी विशेष उद्देश्य हेतु कोई साधना करना चाहते हैं । और आपको ऐसा लगता है कि यहाँ आपके प्रश्नों का उत्तर मिल सकता है । तो आप निसंकोच सम्पर्क कर सकते हैं ।

1 टिप्पणी:

deepak ने कहा…

muktanand swami ji pranam,
kripya mera maargdarshan kijiye.
mai shivji & hanuman ji ki pooja karta hu.
mai ek buisness shuru karne wala hu. kya koi aisi sadhna hai jis se mai bhawishya mai kisi cheej ke rate mai kami ya badotari ko jaan kar uska laabh utha saku?
aapki ati kripa hogi
meri age 26 year hai.

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