रविवार, नवंबर 20, 2011

जो व्यक्ति वर्तमान में होना चाहता है

अतीत जा चुका । और भविष्य अभी आया नहीं । दोनों ही दिशाओं को अस्तित्व नहीं है । उधर जाना बेवजह है । कभी एक दिशा होती थी । लेकिन अब नहीं है । और एक अभी होना शुरू भी नहीं हुई है । सही व्यक्ति सिर्फ वही है । जो क्षण क्षण जीता है । जिसका तीर क्षण की तरफ होता है ।  जो हमेशा अभी और यहां है । जहां कहीं वह है । उसकी संपूर्ण चेतना । उसका पूर्ण होना । यहां के यथार्थ । और अभी के यथार्थ में होता है । यही एकमात्र सही दिशा है । सिर्फ ऐसा ही व्यक्ति स्वर्ण द्वार में प्रवेश कर सकता है । वर्तमान ही वह स्वर्ण द्वार है । यहां अभी स्वर्ण द्वार है । और तुम तभी वर्तमान में हो सकते हो । जब तुम महत्वाकांक्षी नहीं हो । कुछ पाने की इच्छा नहीं रखते ।  शक्ति  धन सम्मान  बुद्धत्व तक भी को पाने की कोई चाह नहीं । क्योंकि सभी महत्वाकांक्षाएं तुम्हें भविष्य में ले जाती हैं ।
सिर्फ गैर महत्वाकांक्षी व्यक्ति । वर्तमान में हो सकता है । जो व्यक्ति वर्तमान में होना चाहता है । उसे सोचना नहीं चाहिए । वह सिर्फ द्वार को देखे । और प्रवेश कर जाए । अनुभव होगा  परंतु अनुभव के बारे में पहले से सोचना नहीं चाहिए । जैसे यह व्यक्ति पत्थरों पर चलता है । वह हल्के से और गैर गंभीरता से कदम उठाता है । और इसी के साथ पूरी तरह से संतुलित और सजग । वर्तुलाकार घूमते हुए सतत प्रवाहमान पानी के पीछे । हम इमारतों के आकार देख सकते हैं । प्रतीत होता है कि पृष्ठभूमि में कोई शहर है । व्यक्ति बीच बाजार में है । लेकिन साथ ही इसके बाहर भी है । अपना संतुलन बनाए हुए है । और साक्षी होने में समर्थ है । यह कार्ड हमें चुनौती देता है कि हम जो दूसरे स्थल और समय के बारे में सोचते रहे हैं । उससे बाज आएं । और इस बात के प्रति सजग रहें कि अभी और यहां क्या हो रहा है । जीवन एक महान अवसर है । जहां आप खेल सकते हैं । यदि आप अपने मूल्यांकन । चुनाव । और अपने लंबे समय की योजनाओं से मोह छोड़ दें । जो आपकी राह में आता है । जैसे आता है । उसके लिए उपलब्ध रहें । और चिंता ना लें । यदि आप ठोकर खाते हैं । या गिर जाते हैं । बस अपने को उठा लें । धूल झाड़ लें । ठठाकर हंस लें । और फिर चल पड़ें । ओशो । दि ग्रेट झेन मास्टर ।

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