रविवार, नवंबर 20, 2011

1 पति की पत्नी होना भी कितना मुश्किल है

1 छोटे से मजाक से महाभारत पैदा हुआ । 1 छोटे से व्यंग से । द्रौपदी के कारण । जो दुर्योधन के मन में तीर की तरह चुभ गया । और द्रौपदी नग्न की गई । नग्न की गई । हुई नहीं । यह दूसरी बात है । करने वाले ने कोई कोर कसर न छोड़ी थी । करने वालों ने सारी ताकत लगा दी थी । लेकिन फल आया नहीं । किए हुए के अनुकूल नहीं आया फल । यह दूसरी बात है ।
असल में । जो द्रौपदी को नग्न करना चाहते थे । उन्होंने ख्याल रख छोड़ा था । उनकी तरफ से कोई कोर कसर न थी । लेकिन हम सभी कर्म करने वालों को । अज्ञात भी बीच में उतर आता है । इसका कभी कोई पता नहीं है । वह जो कृष्ण की कथा है । वह अज्ञात के उतरने की कथा है । अज्ञात के हाथ है । जो हमें दिखाई नहीं पड़ते । हम ही नहीं है । इस पृथ्वी पर । मैं अकेला नहीं हूं । मेरी अकेली आकांक्षा नहीं है । अनंत आकांक्षा है । और अंनत की भी आंकाक्षा है । और उन सबके गणित पर अंतत: तय होता है कि क्या हुआ । अकेला दुर्योधन ही नहीं है । नग्न करने में । द्रौपदी भी तो है । जो नग्न की जा रही है । द्रौपदी की भी तो चेतना है । द्रौपदी का भी तो अस्तित्व है । और अन्याय होगा यह कि द्रौपदी वस्तु की तरह प्रयोग की जाए । उसके पास भी चेतना है । और व्यक्तिव है । उसके पास भी संकल्प है । साधारण स्त्री नहीं है द्रौपदी ।
सच तो यह है कि द्रौपदी के मुकाबले की स्त्री world के इतिहास में दूसरी नहीं है । कठिन लगेगी बात । क्योंकि याद आती है । सीता की । याद आती है । सावित्री की । याद आती है । सुलोचना की । और बहुत यादें है । फिर भी मैं कहता हुं । द्रौपदी का कोई मुकाबला ही नहीं है । द्रौपदी बहुत ही अद्वितीय है । उसमें सीता की मिठास तो है ही । उसमें क्लियोपैट्रा का नमक भी है । उसमें क्लियोपैट्रा का सौंदर्य तो है ही ।  उसमें गार्गी का तर्क भी है । असल में पूरे महाभारत की धुरी द्रौपदी है । यह सारा युद्ध उसके आसपास हुआ है ।
लेकिन चूंकि पुरुष कथाएं लिखते है । इसलिए कथाओं में पुरूष पात्र बहुत उभरकर दिखाई पड़ते है । असल में दुनिया की कोई महाकथा स्त्री की धुरी के बिना नहीं चलती है । सब महाकथाएं स्त्री की धुरी पर घटित होती है । वह बड़ी रामायण सीता की धुरी पर घटित हुई है । राम और रावण तो ट्राएंगल के 2 छोर है । धुरी तो सीता है । ये कौरव और पांडव । और यह सारा महाभारत । और यह सारा युद्ध । द्रौपदी की धुरी पर घटा हे । उस युग की और सारे युगों की सुंदर तम स्त्री है वह । नहीं । आश्चर्य नहीं है कि दुर्योधन ने भी उसे चाहा हो । असल में उस युग में कौन पुरूष होगा । जिसने उसे न चाहा हो । उसका अस्तित्व । उसके प्रति चाह पैदा करने वाला था । दुर्योधन ने भी उसे चाहा है । और वह चली गई अर्जुन के पास ।
और वह भी बड़े मजे की बात है कि द्रौपदी को 5 भाइयों में बांटना पडा । कहानी बड़ी सरल है । उतनी सरल घटना नहीं हो सकती । कहानी तो इतनी ही सरल है कि अर्जुन ने आकर बाहर से कहा कि - मां देखो  । हम क्या ले आए है । और मां ने कहा - जो भी ले आए हो । वह पांचों भाई बांट लो । लेकिन इतनी सरल घटना हो नहीं सकती । क्योंकि जब बाद में मां को भी तो पता चला होगा । कि यह मामला वस्तु का नहीं । स्त्री का है । यह कैसे बाँटी जा सकती है । तो कौन सी कठिनाई थी कि कुंती कह देती कि - भूल हुई । मुझे क्या पता था कि तूम पत्नी ले आए हो ।
लेकिन मैं जानता हूं कि जो संघर्ष दुर्योधन और अर्जुन के बीच होता । वह संघर्ष पाँच भाइयों के बीच भी हो सकता था । द्रौपदी ऐसी थी । वे 5 भी कट मर सकते थे । उसके लिए । उसे बांट देना ही सुगमतम राजनीति थी । वह घर भी कट सकता था । वह महायुद्ध । जो पीछे कौरवों पांडवों में हुआ । वह पांडवों पांडवों में भी हो सकता था । इसलिए कहानी मेरे लिए इतनी सरल नहीं है । कहानी बहुत प्रतीकात्मक है । और गहरी है । वह यह खबर देती है कि स्त्री वह ऐसी थी कि 5 भाई भी लड़ सकते थे । इतनी गुणी थी । साधारण नहीं थी । असाधारण थी । उसको नग्न करना आसान बात नहीं थी । आग से खेलना था । तो अकेला दुर्योधन नहीं है कि नग्न कर ले । द्रौपदी भी है ।
और ध्यान रहे । बहुत बातें है इसमें । जो खयाल में ले लेने जैसी है । जब तक कोई स्त्री स्वय नग्न न होना चाहे । तब तक इस जगत में कोई पुरूष किसी स्त्री को नग्न नहीं कर सकता है । न हीं कर पाता है । वस्त्र उतार भी ले । तो भी नग्न नहीं कर सकता है । नग्न होना बड़ी घटना है । वस्त्र उतरने से । निर्वस्त्र होने से । नग्‍न होना । बहुत भिन्न‍ घटना है । निर्वस्त्र करना बहुत कठिन बात नहीं है । कोई भी कर सकता है ।  लेकिन नग्न करना बहुत दूसरी बात है । नग्न तो कोई स्त्री तभी होती है । जब वह किसी के प्रति खुलती है स्वयं । अन्यथा नहीं होती । वह ढंकी ही रह जाती है । उसके वस्त्र छीने जा सकते है । लेकिन वस्त्र छीनना स्त्री को नग्न करना नहीं है ।
और बात यह भी है कि द्रौपदी जैसी स्त्रीं को नहीं पा सकता दुयोर्धन । उसके व्यंग तीखे पड़ गए । उसके मन पर । बड़ा हारा हुआ है । हारे हुए व्यक्ति । जैसे कि क्रोध में आयी हुई बिल्लिया । खंभे नोचने लगती है । वैसा करने लगते है । और स्त्री के सामने । जब भी पुरूष हारता है । और इससे बड़ी हार पुरूष को कभी नहीं होती । पुरूष से लड़ ले । हार जीत होती है । लेकिन पुरूष जब स्त्री से हारता है । किसी भी क्षण में । तो इससे बड़ी हार नहीं होती है ।
तो दुर्योधन उस दिन । उसे नग्न करने का । जितना आयोजन करके बैठा है । वह सारा आयोजन भी हारे हुए पुरूष मन का है । और उस तरफ । जो स्त्री खड़ी है । हंसने वाली । वह कोई साधारण स्त्री नहीं है । उसका भी अपना संकल्प है । अपना विल है । उसकी भी । अपनी सामर्थ्य है । उसकी भी । अपनी श्रद्धा है ।  उसका भी । अपना होना है । उसकी उस श्रद्धा में । वह जो कथा है । वह कथा तो काव्य है कि कृष्ण उसकी साड़ी को बढ़ाए चले जाते है । लेकिन मतलब सिर्फ इतना है कि जिसके पास अपना संकल्प है । उसे परमात्मा का सारा संकल्प तत्काल उपलब्ध हो जाता है । तो अगर परमात्मा के हाथ उसे मिल जाते है ।  तो कोई आश्चर्य नहीं ।
तो मैंने कहा । और मैं फिर कहता हूं । द्रौपदी नग्न की गई । लेकिन हुई नहीं । नग्न करना बहुत आसान है । उसका हो जाना बहुत और बात है । बीच में अज्ञात विधि आ गई ।  बीच में अज्ञात कारण आ गए । दुर्योधन ने जो चाहा । वह हुआ नहीं । कर्म का अधिकार था । फल का अधिकार नहीं था ।
यह द्रौपदी बहुत अनूठी है । यह पूरा युद्ध हो गया । भीष्म पड़े है । शय्या पर । बाणों की शय्या पर । और कृष्ण कहते है पांडवों को कि पूछ लो । धर्म का राज । और वह द्रौपदी हंसती है । उसकी हंसी पूरे महाभारत पर छाई है । वह हंसती है कि - इनसे पूछते हैं । धर्म का रहस्य । जब मैं नग्न की जा रही थी ।  तब ये सिर झुकाए बैठे थे । उसका व्यं‍ग गहरा है । वह स्त्री बहुत असाधारण है । काश ! हिंदुस्तान की स्त्रियों ने सीता को आदर्श न बनाकर । द्रौपदी को आदर्श बनाया होता । तो हिंदुस्तान की स्त्री की शान और होती ।
लेकिन नहीं । द्रौपदी खो गई है । उसका कोई पता नहीं है । खो गई । 1 तो 5 पतियों की पत्नी‍ है । इसलिए मन को पीड़ा होती है । लेकिन 1 पति की पत्नी होना भी कितना मुश्किल है । उसका पता नहीं है । और जो 5 पतियों को निभा सकती है । वह साधारण  स्त्री नहीं है । असाधारण है । सुपरहयूमन है । सीता भी अति मानवीय है । लेकिन टू ह्मन के अर्थों में । और द्रौपदी भी । अति मानवीय है । लेकिन सुपर हयूमन के अर्थों में । पूरे भारत के इतिहास में द्रौपदी को सिर्फ 1 आदमी न ही प्रशंसा दी है । और 1 ऐसे आदमी ने । जो बिलकुल अनपेक्षित है । पूरे india के इतिहास में doctor राममनोहर लोहिया को छोड़कर । किसी आदमी ने द्रौपदी को सम्मान नहीं दिया है । हैरानी की बात है । मेरा तो लोहिया से प्रेम इस बात से हो गया कि 5000 साल के इतिहास में 1 आदमी । जो द्रौपदी को सीता के ऊपर रखने को तैयार है ।

कोई टिप्पणी नहीं:

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...