रविवार, नवंबर 20, 2011

90 वर्ष में सूर्य बिलकुल बूढ़ा हो जाता है

अगर वृक्ष इतने संवेदनशील हैं । और sun पर होती हुई कोई भी घटना को इतनी व्यवस्था से अंकित करते हैं । तो क्या आदमी के चित्त में भी कोई पर्त होगी ? क्या आदमी के शरीर में भी कोई संवेदना का सूक्ष्म रूप होगा ? क्या आदमी भी कोई रिंग और वर्तुल निर्मित करता होगा । अपने व्यक्तित्व में ?
अब तक साफ नहीं हो सका । अभी तक वैज्ञानिकों को साफ नहीं है कोई बात कि आदमी के भीतर क्या होता है । लेकिन यह असंभव मालूम पड़ता है कि जब वृक्ष भी सूर्य पर घटती घटनाओं को संवेदित करते हों तो आदमी किसी भांति संवेदित न करता हो ।
ज्योतिष । जो जगत में कहीं भी घटित होता है । वह मनुष्य के चित्त में भी घटित होता है । इसकी ही खोज है । इस पर हम पीछे बात करेंगे कि मनुष्य भी वृक्षों जैसी ही खबरें अपने भीतर लिए चलता है । लेकिन उसे खोलने का ढंग उतना आसान नहीं है । जितना वृक्ष को खोलने का ढंग आसान है । वृक्ष को काटकर जितनी सुविधा से हम पता लगा लेते हैं । उतनी सुविधा से आदमी को काटकर पता नहीं लगा सकते हैं । आदमी को काटना सूक्ष्म मामला है । और आदमी के पास चित्त है । इसलिए आदमी का शरीर उन घटनाओं को नहीं रिकार्ड करता । चित्त रिकार्ड करता है । वृक्षों के पास चित्त नहीं है । इसलिए शरीर ही उन घटनाओं को रिकार्ड करता है ।
1 और बात इस संबंध में खयाल ले लेने जैसी है । जैसा मैंने कहा कि प्रति 11 वर्ष में sun पर तीवृ रेडियो एक्टिविटी । तीवृ वैद्युतिक तूफान चलते हैं । ऐसा प्रति 11 वर्ष पर एक रिदम है । ठीक ऐसा ही 1 दूसरा बड़ा रिदम भी पता चलना शुरू हुआ है । वह है 90 वर्ष का । sun के ऊपर । और वह और हैरान करने वाला है । और यह जो मैं कह रहा हूं । ये सब वैज्ञानिक तथ्य हैं । ज्योतिषी इस संबंध में कुछ नहीं कहते हैं । लेकिन मैं इसलिए यह कह रहा हूं कि इनके आधार पर ज्योतिष को वैज्ञानिक ढंग से समझना आपके लिए आसान हो सकेगा । 90 वर्ष का 1 दूसरा वर्तुल है । जो कि अनुभव किया गया है । उसके अनुभव की कथा बड़ी अदभुत है ।
फैरोह ने इजिप्त में आज से 4000 साल पहले अपने वैज्ञानिकों को कहा कि नील नदी में जब भी पानी घटता है । बढ़ता है । उसका पूरा ब्योरा रखा जाए । और अकेली नील 1 ऐसी नदी है । जिसकी 4000 वर्ष की बायोग्राफी है । और किसी नदी की कोई बायोग्राफी नहीं है । उसकी जीवन कथा है पूरी । कब उसमें इंच भर पानी बढ़ा है । तो उसका पूरा रिकार्ड है - 4000 वर्ष । फैरोह के जमाने से लेकर आज तक ।
फैरोह का अर्थ होता है - सूर्य । इजिप्त की भाषा में । फैरोह । जो इजिप्त का सम्राट अपना नाम रखता था । वह सूर्य के आधार पर था । और इजिप्त में ऐसा खयाल था कि सूर्य और नदी के बीच निरंतर संवाद है । तो फैरोह । जो कि सूर्य का भक्त था । उसने कहा कि नील का पूरा रिकार्ड रखा जाए । सूर्य के संबंध में तो हमें अभी कुछ पता नहीं है । लेकिन कभी तो सूर्य के संबंध में भी पता हो जाएगा । तब यह रिकार्ड काम दे सकेगा । तो 4000 साल की पूरी कथा है । नील नदी की । उसमें इंच भर पानी कब बढ़ा । इंच भर कब कम हुआ । कब उसमें पूर आया । कब पूर नहीं आया । कब नदी बहुत तेजी से बही । और कब नदी बहुत धीमी बही । इसका 4000 वर्ष का लंबा इतिहास इंच इंच उपलब्ध है ।
इजिप्त के 1 विद्वान तस्मान ने पूरे नील की कथा लिखी । और अब सूर्य के संबंध में वे बातें ज्ञात हो गईं । जो फैरोह के वक्त ज्ञात नहीं थीं । और जिनके लिए फैरोह ने कहा था । प्रतीक्षा करना । इन 4000 साल में जो कुछ भी नील नदी में घटित हुआ है । वह सूरज से संबंधित है । और 90 वर्ष की रिदम का पता चलता है । हर 90 वर्ष में सूर्य पर 1 अभूतपूर्व घटना घटती है । वह घटना ठीक वैसी ही है । जिसे हम मृत्यु कह सकते हैं । या जन्म कह सकते हैं ।
ऐसा समझ लें कि सूर्य 90 वर्ष में 45 वर्ष तक जवान होता है । और 45 वर्ष तक बूढ़ा होता है । उसके भीतर जो ऊर्जा के प्रवाह बहते हैं । वे 45 वर्ष तक जो जवानी की तरफ बढ़ते हैं । क्लाइमेक्स की तरफ जाते हैं । सूरज जैसे जवान होता चला जाता है । और 45 साल के बाद ढलना शुरू हो जाता है । उसकी उमृ जैसे नीचे गिरने लगती है । और 90 वर्ष में सूर्य बिलकुल बूढ़ा हो जाता है । 90 वर्ष में जब सूर्य बूढ़ा होता है । तब सारी पृथ्वी भूकंपों से भर जाती है । भूकंपों का संबंध 90 वर्ष के वर्तुल से है । सूर्य उसके बाद फिर जवान होना शुरू होता है । वह बड़ी भारी घटना है । क्योंकि सूरज पर इतना परिवर्तन होता है कि पृथ्वी उससे कंपित हो जाए । यह बिलकुल स्वाभाविक है । लेकिन जब पृथ्वी जैसी महाकाय वस्तु भूकंपों से भर जाती है । तो आदमी जैसी छोटी सी body में कुछ नहीं होता होगा ? पृथ्वी जैसी महाकाय वस्तु । जब सूरज पर परिवर्तन होते हैं । तो कंपित हो जाती है । भूकंपों से भर जाती है । तो आदमी जैसी छोटी सी काया में कुछ भी न होता होगा । ज्योतिषी सिर्फ यही पूछते रहे हैं । वे कहते हैं । यह असंभव है । पता हो तुम्हें या न पता हो । लेकिन आदमी की body भी अछूती नहीं रह सकती । ओशो ।

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