रविवार, नवंबर 20, 2011

और एक बार तुम शून्यता में प्रवेश कर जाओ

डी. टी. सुजूकी पश्चिम में । अस्तित्व के प्रति एक नए दृष्टिकोण के साथ आया । उसने बुद्धिजीवियों को आकर्षित किया । क्योंकि वह बहुत विद्वान था । गहरी विद्वत्ता थी उसके पास । और उसने पश्चिम के मन को धर्म की एक पूरी नई तरह की अवधारणा दी । लेकिन यह केवल अवधारणा तक सीमित रही । यह केवल मन के तर्क तक ही सीमित रही । इससे अधिक गहराई में वह कभी प्रविष्ट नहीं हुई ।
इसी के समानांतर स्थिति चीन में भी थी । चीन में बोधि धर्म के जाने से पूर्व ही । चीन बौद्ध धर्म को स्वीकर कर चुका था । बोधि धर्म वहां 14 वर्ष पूर्व गया । जबकि बुद्ध का धर्म । और दर्शन । बोधिधर्म के चीन पहुंचने के 600 वर्षों पूर्व ही । अर्थात 2000 वर्ष पूर्व ही चीन पहुंच गया था । इन 600 वर्षों में बौद्ध धर्म के विद्वानों ने पूरे चीन को बौद्ध धर्म में रूपांतरित कर दिया था ।
उन दिनों पूरे देश को किसी धर्म में दीक्षित करना बहुत सरल था । तुम्हें केवल सम्राट का धर्म परिवर्तन करना होता था । और तब उसके दरबारियों का भी रूपांतरण हो जाता था । फिर उसकी पूरी सेना का । फिर सभी सरकारी कर्मचारियों का भी । धर्म परिवर्तन हो जाता था । और जब सम्राट । और पूरी नौकरशाही । और सेना । और दरबार के तथाकथित बुद्धिमान लोगों का धर्मांतरण हो जाता था । तो जन समूह महज उनका अनुसरण करता था ।
जन सामान्य ने अपने लिए कभी किसी चीज का कोई भी निर्णय नहीं लिया है । वे केवल उन लोगों की ओर देखते हैं । जो अपने महान । बुद्धिमान । शक्तिशाली । धनी । और समृद्ध होने की घोषणा करते हैं । यदि ये लोग अपना धर्मांतरण कर लेते हैं । तो जन समूह उनका अनुसरण करेगा ही ।
इसलिए इन 600 वर्षों में हजारों बौद्ध विद्वान चीन गए । और वहां उन्होंने सम्राटों और गवर्नरों का धर्मांतरण किया । लेकिन फिर भी यह गौतम बुद्ध का सच्चा संदेश नहीं था । यद्यपि पूरा चीन बौद्ध हो गया था । पर वहां बुद्ध अभी तक प्रकट न हुए थे । बोधिधर्म को उसके सदगुरु के द्वारा । जो एक स्त्री थी । चीन भेजा गया । उसने बोधिधर्म से कहा - बौद्ध विद्वानों ने चीन में मार्ग तो तैयार कर दिया है । अब वहां तुम जाओ  । तुम्हारी वहां बहुत आवश्यकता है ।  चीन में प्रवेश करने वाला बोधिधर्म पहला बुद्ध था । और वह एक नितांत भिन्न दृष्टिकोण साथ लेकर आया था । जो कि मन का नहीं । बल्कि अमन का था ।
झेन की अभिव्यक्ति के लिए । पश्चिम अब पूरी तरह से तैयार है । बुद्धिगत रूप से डी.टी.सुजूकी । एलन वाटज । और बहुत से लोगों ने । जिनमें से प्रत्येक के बारे में हम बाद में विस्तार से चर्चा करेंगे । रास्ता बनाया है । अब केवल एक बोधिधर्म की आवश्यकता है । एक गौतम बुद्ध । अथवा एक महाकाश्यप की आवश्यकता है । किसी ऐसे व्यक्ति की आवश्यकता है । जिसका झेन मात्र एक दर्शनशात्र का सिद्धांत न होकर । अनात्मा का यथार्थ अनुभव हो । शून्यता में प्रवेश करने का वास्तविक अनुभव हो ।
और एक बार तुम शून्यता में प्रवेश कर जाओ । तो तुम्हें स्वयं आश्चर्य होगा कि उससे भयभीत होने जैसी कोई बात ही नहीं है । यही तुम्हारा असली घर है । अब तुम उत्सव मना सकते हो । क्योंकि एक रहस्य की अपेक्षा । वहां और अधिक कुछ भी नहीं है । यह शून्यता ही सारे द्वार खोल देती है । तुम जब तक स्व से बंधे रहोगे । अस्तित्व से पृथक होने का विचार तुम्हें दुखी बनाए रखेगा ।
तुम्हें तरीके खोजने होंगे । और ये तरीके आसानी से तभी मिल सकते हैं । जब तुम्हारे साथ कोई ऐसा व्यक्ति हो । जिसने इस मार्ग से पहले ही यात्रा कर ली हो । और जो यह जानता हो कि यह शून्यता खाली नहीं है । विलुप्त होने से यह अर्थ नहीं है कि तुम वास्तव में विलुप्त हो जाते हो । तुम पूर्ण हो जाते हो । इस तरफ से तो देखने पर ऐसा लगता है जैसे तुम मिट गए हो । और उस तरफ से देखने पर ऐसा लगता है । जैसे तुम पूर्ण हो गए हो । यह बात । एक ओस की बूंद से पूछो । लोग अपने अंदर विराट रिक्तता का अनुभव कर रहे हैं । और वे उस रिक्तता को भरना चाहते हैं । तुम रिक्तता के साथ जी नहीं सकते । रिक्तता खालीपन है । और इस खालीपन से जीवन उदास और गंभीर हो जाता है ।
सभी धर्म तुम्हारी इस रिक्तता को असत्यों से भरते आए हैं । अब इन झूठों का भंडाफोड हो गया है । विज्ञान ने इन झूठों का भंडाफोड करने कि लिए बहुत कुछ किया है । और इसके ही साथ महान ध्यानियों और रहस्यदर्शियों ने भी धर्म के इन असत्यों को उघारने में पूरे विश्व भर में अत्यधिक कार्य किया है ।
समकालीन मनुष्य एक बडी अजीब स्थिति में खडा है ।  पुराना गिर चुका है ।  जो एक धोखा ।  एक भृम था । और नया अभी तक आया नहीं है । इसलिए एक अंतराल है । एक अल्प अवकाश जैसा है । और पश्चिम का बुद्धिजीवी कुछ ऐसी चीज खोजने का प्रयास कर रहा है । जो फिर से एक असत्य नहीं होगा । जो तुम्हें केवल सांत्वना नहीं देगा ।  बल्कि तुम्हें रूपांतरित करेगा ।  और जो तुम्हारे अंतरतम में एक गहरी क्रांति बनेगा ।
झेन निश्चित रूप से अस्तित्व और अंतिम सत्य की ओर एक सही रुख है । बिना किसी चीज पर विश्वास किए । बिना एक अनुयायी । अथवा विश्वासी बने ।  तुम सिर्फ अपने ही अंदर प्रवेश करते हो ।  और इसके ही साथ तुम पूर्ण की अपरिसीम शून्यता में भी प्रविष्ट हो जाते हो । लेकिन यह वही परम शून्यता है ।  जहां से तुम आए हो । और जहां तुम्हें फिर जाना है । जब स्त्रोत और लक्ष्य एक हो जाते हैं ।  तुम शानदार उत्सव मनाओगे । उस समारोह में तुम नहीं होगे ।  बल्कि पूरा अस्तित्व ही उसमें भाग लेगा । वृक्ष फूलों की वर्षा करेंगे ।  पक्षी गीत गाएंगे ।  और सभी सागर और नदियां आनंद मनाएंगे ।
जिस क्षण तुम्हारा हृदय पिघल कर विश्वजनीन हृदय बन जाता है ।  पूरा अस्तित्व ही तुम्हारा घर बन जाता है । यही है वह । जहां झेन घट रहा है । इस विश्व में पिघलने से ही तुम मूल स्त्रोत पर वापस लौटते हो ।  ताजे ।  शाश्वत ।  समयातीत ।  असीम । केवल एक ही चीज जरूरी है । इसके लिए । और वह है - आत्मा से मुक्ति ।  स्वयं से मुक्ति । यही झेन का सारतत्व है ।

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