रविवार, नवंबर 20, 2011

कब्र ऐसी बनाई ही नहीं जाती

अगर एटम । एटम बहुत छोटी ताकत है । हमारे लिए बहुत बड़ी ताकत है । एक एटम 1 लाख 20000 आदमियों को मार पाया । हिरोशिमा और नागासाकी में । वह बहुत छोटी ताकत है । सूर्य के ऊपर जो ताकत है । उसका हम इससे कोई हिसाब नहीं लगा सकते । जैसे अरबों एटम बम एक साथ फूट रहे हों । उतनी रेडियो एक्टिविटी सूरज के ऊपर है । और असाधारण है यह । क्योंकि सूरज 4 अरब वर्षों से तो पृथ्वी को ही गर्मी दे रहा है । और उससे पहले से है ।
और अभी भी वैज्ञानिक कहते हैं कि कम से कम 4000 वर्ष तक तो । ठंडे होने की कोई संभावना नहीं है । प्रतिदिन इतनी गर्मी । और सूरज 10 करोड़ मील दूर है । पृथ्वी से । हिरोशिमा में जो घटना घटी । उसका प्रभाव 10 मील से ज्यादा दूर नहीं पड़ सका । 10 करोड़ मील दूर सूरज है । 4 अरब वर्षों से तो वह हमें सारी गर्मी दे रहा है । फिर भी अभी रिक्त नहीं हुआ है । पर यह सूरज कुछ भी नहीं है । इससे महासूर्य हैं । ये सब तारे हैं । जो आकाश के । और इन प्रत्येक तारों से । अपनी व्यक्तिगत और निजी क्षमता की सक्रियता हम तक प्रवाहित होती है ।
एक बहुत बड़ा वैज्ञानिक । जो अंतरिक्ष में फैलती ऊर्जाओं के संबंध में अध्ययन कर रहा है । गाकलिन । उसका कहना है कि जितनी ऊर्जाएं हमें अनुभव में आ रही हैं । उनमें से हम 1% के संबंध में भी पूरा नहीं जानते । जबसे हमने कृत्रिम उपग्रह छोङे हैं । पृथ्वी के बाहर । तबसे उन्होंने हमें इतनी खबरें दी हैं कि हमारे पास न शब्द हैं । उन खबरों को समझने के लिए । न हमारे पास विज्ञान है । और इतनी ऊर्जाएं । इतनी एनर्जीज चारों तरफ बह रही होंगी । इसकी हमें कल्पना ही नहीं थी ।
इस संबंध में एक बात और खयाल में ले लेनी जरूरी है । इस जगत में । जैसा मैंने कल कहा । लोग सोचते हैं कि ज्योतिष कोई विकसित होता हुआ विज्ञान है । मैंने आपसे कहा । हालत उलटी है ।
ताजमहल अगर आपने देखा हो । तो यमुना के उस पार कुछ दीवारें आपको उठी हुई दिखाई पड़ी होंगी । कहानी यह है कि शाहजहां ने मुमताज के लिए तो ताजमहल बनवाया । और अपने लिए । जैसा संगमरमर का ताजमहल है । ऐसा ही अपनी कब्र के लिए संगमूसा का । काले पत्थर का महल । वह यमुना के उस पार बना रहा था । लेकिन वह पूरा नहीं हो पाया । ऐसी कथा सदा से प्रचलित थी । लेकिन अभी इतिहासज्ञों ने खोज की है । तो पता चला कि वह जो उस तरफ दीवारें उठी खड़ी हैं । वे किसी बनने वाले महल की दीवारें नहीं हैं  । वे किसी बहुत बड़े महल की । जो गिर चुका  खंडहर हैं । पर उठती दीवारें और खंडहर एक से मालूम पड़ सकते हैं । एक नये मकान की दीवार उठ रही है । अधूरी है अभी । मकान बना नहीं । हजारों साल बाद तय करना मुश्किल हो जाएगा कि यह नये मकान की बनती हुई दीवार है । या किसी बने बनाए मकान की । जो गिर चुका । उसकी बची खुची अवशेष है । खंडहर है ।
पिछले 300 । 400 । 500 सालों से यही समझा जाता था कि वह जो दूसरी तरफ महल खड़ा हुआ है । वह शाहजहां बनवा रहा था । वह पूरा नहीं हो पाया । लेकिन अभी जो खोजबीन हुई है । उससे पता चलता है कि वह महल पूरा था । और न केवल यह पता चलता है कि वह महल पूरा था । बल्कि यह भी पता चलता है कि ताजमहल शाहजहां ने खुद कभी नहीं बनवाया । वह भी हिंदुओं का बहुत पुराना महल है । जिसको सिर्फ कनवर्ट किया । जिसको सिर्फ थोड़ा सा फर्क किया । क्योंकि । और कई दफे इतनी हैरानी होती है कि जिन बातों को हम सुनने के आदी हो जाते हैं । फिर उनसे भिन्न बात को हम सोचते भी नहीं । ताजमहल जैसी एक भी कब्र दुनिया में किसी ने नहीं बनाई है । कब्र ऐसी बनाई ही नहीं जाती । कब्र ऐसी बनाई ही नहीं जाती । ताजमहल के चारों तरफ सिपाहियों के खड़े होने के स्थान हैं । बंदूकें और तोपें लगाने के स्थान हैं । कब्रों की बंदूकें और तोपें लगाकर कोई रक्षा नहीं करनी पड़ती । वह महल है पुराना । उसको सिर्फ कनवर्ट किया गया है । कब्र में । वह दूसरी तरफ भी एक पुराना महल है । जो गिर गया । जिसके खंडहर शेष रह गए ।
ज्योतिष भी खंडहर की तरह है । वह बहुत बड़ा महल था । पूरा विज्ञान था । जो ढह गया । कोई नयी चीज नहीं है । कोई नया उठता हुआ मकान नहीं है । लेकिन जो दीवारें रह गई हैं । उनसे कुछ पता नहीं चलता कि कितना बड़ा महल उसकी जगह रहा होगा । बहुत बार सत्य मिलते हैं । और खो जाते हैं ।
अरिस्टीकारस नाम के एक यूनानी ने जीसस से 200 । 300 वर्ष पूर्व यह सत्य खोज निकाला था कि सूर्य केंद्र है । पृथ्वी केंद्र नहीं है । अरिस्टीकारस का यह सूत्र । हेलियो सेंट्रिक कि सूरज केंद्र पर है । जीसस से 300 वर्ष पहले खोज निकाला गया था । लेकिन जीसस के 100 वर्ष बाद टोलिमी ने इस सूत्र को उलट दिया । और पृथ्वी को फिर केंद्र बना दिया । और फिर 2000 साल लग गए । केपलर और कोपरनिकस को खोजने में वापस कि सूर्य केंद्र है । पृथ्वी केंद्र नहीं है । 2000 साल तक अरिस्टीकारस का सत्य दबा पड़ा रहा । 2000 साल बाद जब कोपरनिकस ने फिर से कहा । तब अरिस्टीकारस की किताबें खोजी गईं । लोगों ने कहा यह तो हैरानी की बात है ।
अमरीका कोलंबस ने खोजा । ऐसा पश्चिम के लोग कहते हैं । एक बहुत प्रसिद्ध मजाक प्रचलित है । आस्कर वाइल्ड अमरीका गया हुआ था । उसकी मान्यता थी कि अमरीका और भी बहुत पहले खोजा जा चुका है । और यह सच है । यह सच्चाई है कि अमरीका बहुत दफे खोजा जा चुका । और पुनः पुनः खो गया । उससे संबंध सूत्र टूट गए । एक व्यक्ति ने आस्कर वाइल्ड को पूछा कि - हम सुनते हैं कि आप कहते हैं । अमरीका पहले भी खोजा जा चुका है । तो क्या आप नहीं मानते कि कोलंबस ने पहली खोज की ? और अगर कोलंबस ने पहली खोज नहीं की । तो अमरीका बार बार क्यों खो गया ?
तो आस्कर वाइल्ड ने मजाक में कहा कि - कोलंबस ने पुनः खोज की है । ही रि डिसकवर्ड अमेरिका । इट वाज़ डिसकवर्ड सो मेनी टाइम्स । बट एवरी टाइम हश्ड अप । हर बार दबाकर इसको चुप रखना पड़ा । क्योंकि यह उपद्रव । इसको बारबार हश्ड अप ।
इस संबंध में बहुत काम लारेंज नाम के एक वैज्ञानिक ने किया है । और उसका कहना है कि वह जो फर्स्ट मोमेंट एक्सपोजर है । वह बड़ा महत्वपूर्ण है । वह मां से इसीलिए संबंधित हो जाता है । मां होने की वजह से नहीं । फर्स्ट एक्सपोजर की वजह से । इसलिए नहीं कि वह मां है । इसलिए उसके पीछे दौड़ता है  । इसलिए कि वही सबसे पहले उसको उपलब्ध होती है । इसलिए पीछे दौड़ता है ।
अभी इस पर और काम चला है । जिन बच्चों को मां के पास बड़ा न किया जाए । वे किसी स्त्री को जीवन में कभी प्रेम करने में समर्थ नहीं हो पाते  । एक्सपोजर ही नहीं हो पाता । अगर एक बच्चे को उसकी मां के पास बड़ा न किया जाए । तो स्त्री का जो प्रतिबिंब । उसके मन में बनना चाहिए । वह बनता ही नहीं । और अगर पश्चिम में आज होमोसेक्सुअलिटी बढ़ती हुई है । तो उसके एक बुनियादी कारणों में वह कारण है । हेट्रोसेक्सुअल । विजातीय यौन के प्रति जो प्रेम है । वह पश्चिम में कम होता चला जा रहा है । और सजातीय यौन के प्रति प्रेम बढ़ता चला जा रहा है । जो विकृति है । लेकिन वह विकृति होगी । क्योंकि दूसरे यौन के प्रति जो प्रेम है । पुरुष का स्त्री के प्रति । और स्त्री का पुरुष के प्रति । वह बहुत सी शर्तों के साथ है । पहला तो एक्सपोजर जरूरी है । बच्चा पैदा हुआ है । तो उसके मन पर क्या एक्सपोज हो ।
अब यह बहुत सोचने जैसी बात है । दुनिया में स्त्रियां तब तक सुखी न हो पाएंगी । जब तक उनका एक्सपोजर मां के साथ हो रहा है । उनका एक्सपोजर पिता के साथ होना चाहिए । पहला इंपैक्ट लड़की के मन पर पिता का पड़ना चाहिए । तो ही वह किसी पुरुष को भरपूर मन से प्रेम करने में समर्थ हो पाएगी । अगर पुरुष स्त्री से जीत जाता है । तो उसका कुल कारण इतना है कि लड़के और लड़कियां दोनों ही मां के पास बड़े होते हैं । तो लड़के का एक्सपोजर तो बिलकुल ठीक होता है । स्त्री के प्रति  लेकिन लड़की का एक्सपोजर बिलकुल ठीक नहीं होता । इसलिए जब तक दुनिया में लड़की को पिता का एक्सपोजर नहीं मिलता । तब तक स्त्रियां कभी भी पुरुष के समकक्ष खड़ी नहीं हो सकेंगी । न राजनीति के द्वारा । न नौकरी के द्वारा । न आर्थिक स्वतंत्रता के द्वारा । क्योंकि मनोवैज्ञानिक अर्थों में एक कमी उनमें रह जाती है । वह अब तक की पूरी संस्कृति उस कमी को पूरा नहीं कर पाई है ।
अगर यह छोटा सा गुब्बारा । या मुर्गी । या मां । इनका एक्सपोजर प्रभावी हो जाता है । इतना ज्यादा कि चित्त सदा के लिए उससे निर्मित हो जाता है । ज्योतिष कहता है कि जो भी चारों तरफ मौजूद है । दि होल यूनिवर्स । वह सभी का सभी उस एक्सपोजर के क्षण में । उस चित्त के खुलने के क्षण में । भीतर प्रवेश कर जाता है । और जीवन भर की सिम्पैथीज और एंटीपैथीज निर्मित हो जाती हैं । उस क्षण जो नक्षत्र पृथ्वी को चारों तरफ से घेरे हुए हैं । नक्षत्र घेरे हुए हैं । उसका कुल मतलब इतना कि उस क्षण पृथ्वी के ऊपर जिन नक्षत्रों की रेडियो एक्टिविटी का प्रभाव पड़ रहा है ।
अब वैज्ञानिक मानते हैं कि प्रत्येक ग्रह की रेडियो एक्टिविटी अलग है । जैसे वीनस । उससे जो रेडियो सक्रिय तत्व हमारी तरफ आते हैं । वे चांद के रेडियो सक्रिय तत्वों से भिन्न हैं । या जैसे ज्युपिटर । उससे जो रेडियो तत्व हम तक आते हैं । वे सूर्य के रेडियो तत्वों से भिन्न हैं । क्योंकि इन प्रत्येक ग्रहों के पास अलग तरह की गैसों । और अलग तरह के तत्वों का वातावरण है । उन सबसे अलग अलग प्रभाव पृथ्वी की तरफ आते हैं । और जब एक बच्चा पैदा हो रहा है । तो पृथ्वी के चारों तरफ क्षितिज को घेरकर खड़े हुए जो भी नक्षत्र हैं ग्रह हैं । उपग्रह हैं । दूर आकाश में महा तारे हैं । वे सबके सब उस एक्सपोजर के क्षण में बच्चे के चित्त पर । गहराइयों तक प्रवेश कर जाते हैं । फिर उसकी कमजोरियां । उसकी ताकतें  । उसका सामर्थ्य  सब सदा के लिए प्रभावित हो जाता है ।
अब जैसे हिरोशिमा में एटम बम के गिरने के बाद पता चला । उसके पहले पता नहीं था । हिरोशिमा में एटम जब तक नहीं गिरा था । तब तक इतना खयाल था कि एटम गिरेगा । तो लाखों लोग मरेंगे । लेकिन यह पता नहीं था कि पीढ़ियों तक आने वाले बच्चे प्रभावित हो जाएंगे । हिरोशिमा और नागासाकी में जो लोग मर गए । मर गए । वह तो एक क्षण की बात थी । समाप्त हो गए । लेकिन हिरोशिमा में जो वृक्ष बच गए । जो जानवर बच गए । जो पक्षी बच गए । जो मछलियां बच गईं । जो आदमी बच गए । वे सदा के लिए प्रभावित हो गए ।
अब वैज्ञानिक कहते हैं कि दस पीढ़ियों में हमें पूरा अंदाज लग पाएगा कि क्या क्या परिणाम हुए । क्योंकि इनका सब कुछ रेडियो एक्टिविटी से प्रभावित हो गया । अब जो स्त्री बच गई है ।उसके शरीर में जो अंडे हैं । वे प्रभावित हो गए । अब वे अंडे  कल उनमें से एक अंडा बच्चा बनेगा । वह बच्चा वैसा ही बच्चा नहीं होगा । जैसा साधारणतः होता है । क्योंकि एक विशेष तरह की रेडियो सक्रियता उस अंडे में प्रवेश कर गई है । वह लंगड़ा हो सकता है । लूला हो सकता है । अंधा हो सकता है । उसकी चार आंखें भी हो सकती हैं । आठ हाथ भी हो सकते हैं । कुछ भी हो सकता है । अभी हम कुछ भी नहीं कह सकते कि वह कैसा होगा । उसका मस्तिष्क बिलकुल रुग्ण भी हो सकता है । प्रतिभाशाली भी हो सकता है । वह जीनियस भी पैदा हो सकता है । जैसा जीनियस कभी पैदा न हुआ हो । अभी हमें कुछ भी पता नहीं कि वह क्या होगा । इतना पक्का पता है कि जैसा होना चाहिए था । साधारणतः आदमी । वैसा वह नहीं होगा ।

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